Uttar Pradesh

पपीता किसान रहे सावधान, बारिश में इस रोग से हो सकता है भारी नुकसान, जानें कैसे पहचाने

Last Updated:July 28, 2025, 23:57 ISTकृषि विज्ञान अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि पहचान पपीते ऊपरी पत्तिया नीचे तथा अन्दर की ओर मुड़कर शिराये मोटी तथा पारदर्शी,चमड़े जैसी खुरदुरी हो जाती है.इससे पौधो का विकास अवरूद्ध और फल कम व छोटे हो जाते है. इस …और पढ़ेंकिसान पपीते की खेती कर रहा है तो बरसात के मौसम मे हो जाये सावधान नहीं तो फसल हो जाएगी बर्बाद. किसान अगर पपीता की खेती कर रहा है तो उसे सबसे पहले जब बी की बुवाई करता है तो जिस जगह पर बीज रखा जाता है उसे स्थान को मिट्टी का ढेर बनाकर ऊंचाई कर सकते हैं. जिससे अगर बरसात में पानी का भरा होता है. तो जो पपीता का पौधा बड़ा होता है अगर उसमें पानी भर जाता है तो पौधा बर्बाद हो जाता है.

इसके लिए पहले खेतों में मेड बना ले जिससे पानी की निकासी हो सके. समतल जमीन पर पपीते की खेती करने से किस नुकसान में जा सकता है. इसके लिए ऊंचे ऊंचे मेड बनकर तैयार कर ले फिर उसी स्थान पर ऊंची जगह पर बीज की बुवाई कर दें. पानी ना रुकने पाए. जिससे किसान की फसल भी बर्बाद ना हो. किसान अगर पपीते की फसल तैयार करता है. उसे बहुत ही ध्यान पूर्वक से देखरेख करना पड़ता है क्योंकि कई तरह के रोग भी लग जाते हैं. जिससे पौधे बर्बाद हो जाते हैं. पपीते के पौधे में समय-समय पर खाद एवं दवाइयां का इस्तेमाल करना पड़ता है.

खेतों में बनाएं मजबूत मेड़
कृषि विज्ञान अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि पहचान पपीते ऊपरी पत्तिया नीचे तथा अन्दर की ओर मुड़कर शिराये मोटी तथा पारदर्शी,चमड़े जैसी खुरदुरी हो जाती है.इससे पौधो का विकास अवरूद्ध और फल कम व छोटे हो जाते है. इस विषाणु के प्रसार का रोगवाहक सफेद मक्खी है. रोग प्रतिरोधक प्रजातिया जो नेट हाउस मे बीज उपचार के बाद तैयार की गई हो,वह पौधे लगाए. रोगग्रस्त पौधा दिखते ही उसको काटकर सावधानीपूर्वक किसी थैली मे भरकर गड्ढे मे दबा दे जिससे रोग का प्रसार रूक जाए. पौधो को लगाने के पहले गड्ढे मे ट्राइकोडर्मा से बनी सडी गोबर की खाद का उपयोग करे.

समय पर करें दवा और खाद का छिड़कावजैविक नियंत्रण माहू द्वारा विषाणु का प्रसार रोकने के लिए सफेद तेल पायस का एक प्रतिशत का छिड़काव करे.वायरस के नियंत्रण के लिए थियोमेथोक्साम 12.6 % + लैम्डा साइहलोथ्रिन 9.5%ZC का प्रयोग 80 मिलीलीटर प्रति एकड़ और IFC स्टीकर 40 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करे. इससे पपीते की फसल में लगने वाले वायरस को रोकथाम किया जा सकता है. जिससे किसान की फसलों में उत्पादन की रुकावटें ना हो. और फसल अच्छे से अच्छी तैयार हो सके जिससे किसान को अच्छा से अच्छा मुनाफा भी हो.

किसान सुदीप शुक्ला की कहानी बनी मिसालकिसान सुदीप कुमार शुक्ला ने बताया कि हमने रेड लेडी वैरायटी का पपीते की खेती कर रहे हैं. किसान ने बताया कि पहले से ही प्लांटेशन किया है. पहली बार रेड लेडी वैरायटी के पपीते की प्लांटेशन किया हूं और यह ट्रायल के लिए किया गया था जिसमें 100 पौधे का प्लांटेशन किया गया है. किसान ने बताया कि 100 पौधों में से 80 पौधे सही बचे हुए हैं.20 पौधे जो खराब हुए हैं वह बरसात के कारण हुए हैं. अगर किसान पपीते की खेती करना है तो उसे खेत के मेड को ऊँचा किया जाये. ताकि पौधे में पानी का रुक ना हो सके जिसके कारण सड़ने का डर भी बना रहता है इससे पौधे बर्बाद हो जाते हैं. किसान ने बताया कि ट्रायल के लिए लगाए गए पौधे अगर सफल हुए तो आगे आने वाले समय पर यह बड़ी मात्रा में पपीते की खेती की जाएगी. किसान ने ₹200 प्रति पौधे की लागत से 100 पौधे पपीते की प्लांटेशन किए थे जिसमें से 80 पौधे सही तरीके से बचे हुए हैं.Location :Kaushambi,Uttar Pradeshhomeagricultureपपीता किसान रहे सावधान, बारिश में इस रोग से हो सकता है भारी नुकसान,

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