Uttar Pradesh

Bareilly News: बरेली शहर में हैं अजब-गजब मोहल्ले, नाम सुनकर हो जाएंगे हैरान, रोचक है इतिहास

विकल्प कुदेशिया/बरेली: उत्तर प्रदेश का जिला बरेली ऐसे ही नहीं सभी के जहन पर रहता है. ये शहर जितना देखने में खूबसूरत है, उतना ही दिलचस्प हैं इस शहर की मोहल्ले के नाम. जी हां इस शहर की सबसे खास बात यह है कि यहां मोहल्लों के नाम काफी विचित्र हैं. क्योंकि इस शहर ने इतिहास के कई, पन्नों को देखा है. ऐसे ही इतिहास के कई किरदारों के नाम पर इस शहर के मोहल्लों के नाम रखे गए हैं. इसमें से ज्यादातर मुहल्ले डेढ़ सौ से दो सौ वर्ष से अधिक पुराने हैं.

इन मोहल्लों में झगड़े वाली मठिया, फाल्तूनगंज, रबड़ी टोला, पटे की बजरिया, नीम की चढ़ाई जैसे कई नाम शामिल हैं. जिनका अपना-अपना एक दिलचस्व इतिहास रहा है. बता दें कि इनके नाम इतिहास में घटित  कई घटनाओं पर आधारित हैं. साथ ही कई मोहल्ले ऐसे भी हैं, जो ब्रिटिश के उस वक्त के इतिहास को अच्छी तरह से दर्शाते हैं. साथ में कुछ नाम अतीत के बारे में जानकारी देते हैं.

 झगड़े वाली मठिया का क्या है इतिहास 

बिहारीपुर स्थित इस मुहल्ले के बुजुर्ग बताते हैं कि पुराने समय में यहां मठिया थी. मिश्रित आबादी होने से दूसरे संप्रदाय के जुलूस आदि यहीं से निकलते थे, जिसको लेकर अक्सर विवाद होता था. आजादी से पहले एक बार ताजिया निकालने को लेकर बड़ा विवाद हुआ, जिसके बाद से इस जगह का नाम ही झगड़े वाली मठिया पड़ गया.

फाल्तूनगंज का क्या है इतिहास 

बरेली कॉलेज से लेकर श्यामगंज पुलिस चौकी तक का पूरा क्षेत्र फाल्तूनगंज के नाम से जाना जाता है. बुजुर्ग बताते हैं कि यह मुहल्ला लगभग डेढ़ सौ वर्ष से अधिक पुराना है. अंग्रेजों के शासनकाल में यह जगह खेड़ा कहलाता था. बुजुर्ग बताते थे कि मुहल्ले का नाम फाल्तूनगंज तत्कालीन अंग्रेज अफसर के नाम पर पड़ा. अंग्रेजों ने यहां पर कुछ परिवारों को चौधराहट (जमींदारी) सौंपी. इसके बाद फाल्तूनगंज की जगह कालीबाड़ी नाम चलन में आया. भले ही वार्ड के मुहल्ले कालीबाड़ी का नाम अधिक चलन में है. यह वार्ड आज भी फाल्तूनगंज के नाम से जाना जाता है.

रबड़ी टोला का क्या है इतिहास 

पुराना शहर में शाहदाना वली की दरगाह के सामने स्थित रबड़ी टोला शहर के पुराने मुहल्लों में से एक है. बुजुर्ग बताते हैं कि अंग्रेजी शासनकाल में ही मुहल्ले का नाम रबड़ी टोला पड़ा. 1892 के कुछ दस्तावेजों में मुहल्ले का नाम रबड़ी टोला मिलता है. बुजुर्ग बताते हैं कि इससे पहले यह मुहल्ला जगतपुर लाला बेगम के नाम से जाना जाता था. कुछ पुराने सरकारी रिकॉर्ड में यह नाम दर्ज भी है. बुजुर्ग बताते थे कि पुराने समय में शाहदाना वली साहब की दरगाह के सामने रबड़ी की एक मशहूर दुकान हुआ करती थी, जिसके चलते मुहल्ले का नाम रबड़ी टोला पड़ा.

पटे की बजरिया का क्या है इतिहास 

इस इलाके के रहने वाले लाडले मियां बताते हैं कि चौराहे से कुछ आगे यहां पटे लाला की एक दुकान थी. वह दूध, मिठाई आदि का कारोबार करते थे. उन्हीं के नाम पर जगह का नाम पटे की बजरिया पड़ा, जो कि आज तक चलन में है. यहीं के बुजुर्ग कमलेश चंद्र ने बताया कि पुराने समय में यहां पर गंगा बहती थी. फिर जब गंगा यह जगह छोड़कर गई, तो पूरा क्षेत्र भूड़ कहलाया, जो कि आज भी इसी नाम से जाना जाता है.

नीम की चढ़ाई का क्या है इतिहास 

बड़ा बाजार स्थित नीम की चढ़ाई मुहल्ला काफी ऊंचे क्षेत्र पर स्थित है. बुजुर्ग बताते हैं कि पुराने समय में भी यह क्षेत्र काफी ऊंचा था. उस दौर में क्षेत्र के संभ्रांत नागरिक घासीराम का परिवार रहता था. उनके परिजनों ने यहां पर एक नीम का पेड़ लगवाया, जो समय के साथ गिर गया, लेकिन इसी नीम के पेड़ के चलते मुहल्ले का नाम नीम की चढ़ाई हो गया.

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