Short Sleeper Syndrome: आपने नींद से जुड़ी कई परेशानियों के बारे में सुना होगा लेकिन क्या शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम (SSS) के बारे में पता है? ये एक रेयर स्लीप कंडीशन है जिसमें लोगों को नेचुरली दूसरों की तुलना में बहुत कम नींद की जरूरत होती है. जहां ज्यादातर एडल्ट्स को हर रात 7 से 9 घंटे की नींद की नीड होती है, वहीं SSS वाले लोग सिर्फ 4 से 6 घंटे – या इससे भी कम – की नींद के साथ पूरी तरह से तरोताजा महसूस करते हैं. वो दिन में झपकी लेने या थका हुआ महसूस किए बिना, अलर्ट और एनर्जेटिक महसूस करते हुए जागते हैं.
शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम को समझेंइस बात को समझना जरूरी है कि ऐसे हालात स्ट्रेस, एंग्जाइटी या खराब नींद की आदतों के कारण नहीं होती है. माना जाता है कि ये उनके शरीर की बनावट का नतीजा है. इस कंडीशन वाले लोगों को अक्सर नेचुरल शॉर्ट स्लीपर कहा जाता है.
शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम काफी रेयर है, लेकिन इस कंडीशन वाले लोगों की सटीक नंबर का अभी भी पता नहीं है. कई फैक्टर्स इस बात को अफेक्ट कर सकते हैं कि किसी शख्स को कितनी नींद आती है,, इसलिए सही मामलों की पहचान करना मुश्किल हो सकता है. हर कोई जो 6 घंटे से कम सोता है उसे शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम नहीं होता है; सिर्फ वही जो ऐसा रेगुलरली करते हैं और फिर भी दिन भर पूरी तरह से ठीक महसूस करते हैं.
शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम की वजह क्या है?SSS का सटीक कारण पूरी तरह से पता नहीं है. हालांकि, रिसर्चर्स का मानना है कि ये जेनेटिक्स से जुड़ा हो सकता है. कुछ मामलों में, DEC2 नामक जीन में एक बदलाव या म्यूटेशन उन लोगों में पाया गया है जो कुदरती तौर से कम सोते हैं. ये जीन शरीर की इंटरनल क्लॉक और ये नींद को कैसे कंट्रोल करता है, इसे अफेक्ट कर सकता है.
शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम के आम लक्षणSSS का मेन साइन कम घंटों तक सोने और फिर भी ठीक महसूस करने की क्षमता है. आइए जानते हैं कि इसके सबसे आम लक्षण कौन-कौन से हैं.
1. हर रात 6 घंटे से कम सोना.2. दिन में नींद या थकान न होना.3. पूरे दिन नॉर्मल एनर्जी लेवल और अलर्टनेस.4. बिना किसी परेशानी के फोकस करने, काम करने में दिक्कत न होना
SSS के नुकसानपहली नजर में, SSS एक हेल्फुल कंडीशन महसूस सकती है, क्योंकि ये एक दिन में ज्यादा जागने के घंटे देता है और इस दौरान आप रोजमर्रा के जरूरी कामों को अंजाम दे सकते हैं, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. जैसे-
1. छिपी हुई नींद की परेशानियों का रिस्कभले ही कोई शख्स इस कंडीशन में भी ठीक महसूस करता हो, फिर भी हो सकता है कि उसके शरीर को जरूरी आराम नहीं मिल रहा हो.
2. पारिवारिक रिश्तों पर असरSSS वाले लोग दूसरों की तुलना में बहुत पहले जाग सकते हैं, जिससे शेड्यूल या डेली रूटीन में फर्क हो सकता है. जो अक्सर परिवार के लोगों के बीच टेंशन की वजह बनता है.
3. लॉन्ग टर्म हेल्थ को लेकर फिक्ररिसर्च से पता चलता है कि वक्त के साथ भरपूर नींद न लेना हार्ट डिजीज, याददाश्त, इम्यूनिटी और बहुत कुछ को अफेक्ट कर सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.