गाजीपुर- गाजीपुर के गंगा घाट पर मिलने वाली मछलियों की अपनी अलग पहचान है. कलेक्टर घाट के मछुआरे राहुल निषाद बताते हैं कि इहां के पानी में पलवा, टेंगरा, भांगुर, रोहु अउर कतला जइसी मछलियन खूब मिलती हैं. जे मछलियन सेहत के खातिर बहुत बढ़िया हईं. हमनी के पुरखा से सुनते आइल बानी कि भांगुर में ताकत बहुत होला. जे खाएला ओकरे हड्डी मजबूत रहेला अउर देह में ताकत आ जाला
आकार और चाल से पहचानस्थानीय मछुआरे रमेश कहते हैं कि मछलियों की पहचान उनके आकार, रंग और तैरने के तरीके से की जाती है.
टेंगरा पतला-लंबा और फुर्तीला होता है.
भांगुर की खाल काली और चिकनी होती है.
रोहु और कतला हल्के सुनहरे रंग की होती हैं और ज्यादातर पानी की सतह पर तैरती हैं.
पोषण का भंडारपोषण विशेषज्ञ बताते हैं कि गंगा की इन मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड, हाई क्वालिटी प्रोटीन, विटामिन D और B12 भरपूर मात्रा में मिलते हैं. ये पोषक तत्व दिल की सेहत सुधारते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं. खासतौर पर भांगुर और रोहु में ओमेगा-3 की मात्रा ज्यादा होती है, जो मस्तिष्क और आंखों की सेहत के लिए बेहद जरूरी मानी जाती है.
बढ़ती डिमांड और कीमतें
गाजीपुर के सैकड़ों परिवार मछली पकड़ने और बेचने से जुड़े हैं. मानसून और ठंड के मौसम में पलवा की डिमांड काफी बढ़ जाती है और इसकी कीमत ₹300-₹500 प्रति किलो तक पहुंच जाती है. टेंगरा स्वाद में लाजवाब होती है और हल्की होने के कारण आसानी से बिक जाती है.
कलेक्टर घाट का मछली बाजारगाजीपुर का कलेक्टर घाट मछलियों का प्रमुख बाजार है. यहां पकड़ी गई मछलियां सीधे बेची जाती हैं और आसपास के इलाकों – सैदपुर, मोहम्मदाबाद और दिलदारनगर तक इनकी मांग रहती है.
परंपरा और आधुनिक विज्ञान का संगमगाजीपुर के घाटों पर रोजाना मछुआरे नाव लेकर मछलियां पकड़ने निकलते हैं. यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है. अब इन मछलियों के पोषण गुणों को आधुनिक विज्ञान भी मान्यता देने लगा है.