Double Hand Reattachment Surgery: अगर हादसे के बाद किसी अच्छे खासे सेहतमंद इंसान के दोनों हाथ ही बेकार हो जाएं तो उसके लिए जिंदगी बोझ बन जाती है, लेकिन मेडिकल साइंस अक्सर लोगों की जिंदगी में नई उम्मीदें लेकर आता है. ऐसा ही कुछ हुआ पुणे के एक 32 साल के शख्स के साथ. इस पर तेज धार वाले हथियार से बेरहमी से हमला किया गया था, जिसमें उसका बायां हाथ पूरी तरह से कट गया था और दाहिना हाथ तकरीबन अलग हो गया था.
डॉक्टर्स ने वापस जोड़े दोनों हाथहमले के बाद इस घायल शख्स को पुणे डीपीयू सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पिंपरी लाया गया. उसका काफी खून बह चुका था, और ब्लड प्रेशर काफी गिर गया था, सर्जरी बेहद रिस्की थी, इसके बावजूद अस्पताल के डॉक्टर्स ने दोनों हाथों को फिर से अटैच करने का करिश्मा कर दिखाया.
प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट के 9 डॉक्टर्स की एक टीम ने तुरंत मरीज को इवैल्यूएट किया और लिंब के सक्सेसफुल रीप्लांटेशन के लिए लिमिटेड टाइम को देखते हुए, उसे बिना किसी देरी के सर्जरी के लिए ले गए. 2-टीमों के अप्रोच का इस्तेमाल करते हुए, सर्जन्स ने ऑपरेशन का टाइम कम करने और सफल नतीजों की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए दोनों हाथों पर एक साथ काम किया.
11 घंटे की सर्जरीये मैराथन सर्जरी 11 घंटे तक चली, जो शाम 6:30 बजे शुरू होकर अगली सुबह 5:30 बजे तक बिना रुके जारी रही. इस ऑपरेशन को स्पेशलिस्ट सर्जन डॉ. गुरुस्वामी विश्वनाथ, डॉ. भूषण पाटिल, डॉ. ज्योतिका चावरिया और डॉ. पूजा दांडेकर ने सीनियर फैक्लटी और रेजिडेंट्स के साथ मिलकर अंजाम दिया.
कैसे हुआ ये करिश्मा?एडवांस्ड माइक्रोसर्जिकल टेक्नीक का इस्तेमाल करते हुए, सर्जन्स ने हाई पावर्ड माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करके ब्लड वेसेल्स, नर्व्स, टेंडन्स और हड्डियों को बहुत ही बारीकी और सावधानी से फिर से जोड़ा. इस सर्जरी में असाधारण सटीकता, कोऑर्डिनेश और माइक्रोसर्जिकल एक्सपर्टीज की जरूरत थी.
ठीक हो रहा है पेशेंट
प्लास्टिक सर्जरी के एचओडी डॉ. गुरुस्वामी विश्वनाथ ने कटे हुए अंगों के जीवित रहने के लिए ब्लड की सप्लाई को तुरंत रिस्टोर करने के अहमियत पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि हालांकि रिकवरी लंबी और चैलेंजिंग होगी, पेशेंट अच्छा प्रोग्रेस कर रहा है और उसके हाथ के काम को फिर से हासिल करने की पूरी उम्मीद है.
मिल गई नई जिंदगीइस मुश्किल और रेयर सर्जरी ने न सिर्फ घायल शख्स के अंगों को बचाया, बल्कि उसकी आजादी और रोजगारी के लिए उसकी उम्मीदों को भी फिर से जिंदा कर दिया. इसके बिना, उसे परमानेंट डिसेबिलिटी और अपने परिवार का सपोर्ट करने में लाचारी का सामना करना पड़ता. इस सर्जरी ने उन लोगों की उम्मीदें बढ़ सकती है, जो किसी हादसे में अचानक अपने अंग खो देते हैं.