Last Updated:July 24, 2025, 17:35 ISTAyodhya News: प्रभु श्रीराम अयोध्या में सावन के पवित्र महीने में मठ मंदिरों के विग्रह मणि पर्वत पर झूलन विहार करने जाते हैं. मान्यता है कि श्रीराम यहां सावन के महीने में माता सीता के साथ विहार यानी घूमने-फिरने …और पढ़ेंहाइलाइट्समठ मंदिर के विग्रह मणि पर्वत जाते हैं प्रभु श्रीराम.सावन में रामनगरी के हजारों मंदिरों में झूलन उत्सव का आरंभ होता है.यह उत्सव भक्तों के समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है.अयोध्या: सरयू नदी के किनारे बसी प्रभु राम की नगरी अयोध्या मंदिरों और मूर्तियों के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. बाल्यावस्था से लेकर राज्याभिषेक तक प्रभु राम की कई ऐतिहासिक धरोहरें आज भी अयोध्या में मौजूद हैं, जो त्रेता युग के वैभव को दर्शाती हैं. इसी अयोध्या में सावन के पवित्र महीने में मठ मंदिरों के विग्रह मणि पर्वत पर श्री राम झूलन बिहार करने जाते हैं.
क्या है वजह और क्यों पड़ा इसका नाम मणि पर्वत
दरअसल, मान्यताओं के अनुसार, मणि पर्वत का क्षेत्र त्रेता युगीन अयोध्या राज परिवार के आमोद-प्रमोद के अधीन था. यह क्षेत्र हरियाली से भरा था और पवित्र सरयू जैसी बड़ी नदी से सटा हुआ था. इसी प्रांगण से लगकर एक अन्य छोटी नदी तिलोदकी गंगा बहती थी. प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, स्वयं श्री राम यहां सावन के महीने में माता सीता के साथ विहार करने आते थे. मणि पर्वत वही क्षेत्र है जिसके बारे में मान्यता है कि भगवान श्री राम को दहेज में बहुत बड़ी मात्रा में मणियां मिली थीं और सभी मणियों को राजा दशरथ ने इसी स्थल पर रखवा दिया था. कालांतर में इन्हीं मणियों का बड़ा ढेर लग जाने के कारण इसे मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है.
आज भी निभाई जाती है परंपरा
युगों की यात्रा में श्री राम तो नहीं रहे, वे अपने धाम को चले गए, लेकिन उनकी स्मृति जिन-जिन जगहों पर जीवंत है, आज वहां संत, श्रद्धालु और श्री राम के बड़ी संख्या में भक्त प्रत्येक वर्ष सावन शुक्ल तृतीया के दिन श्री राम और किशोरी जी के विग्रह को पालकी में स्थापित कर मणि पर्वत के प्रांगण में शोभा यात्रा के रूप में ले जाते हैं. वहां श्री राम और माता सीता के विग्रह हिंडोले पर झूलते हैं और उनके सम्मुख भक्त कजरी गीत गाते हैं.
सावन में शुरू होती हैं शोभयात्राएं
शशिकांत दास बताते हैं कि त्रेता युग की यह परंपरा आज भी सतत प्रवाहमान है. आज भी रामनगरी के 24 से अधिक मंदिरों से पालकी निकलती है, जिसमें भगवान राम और किशोरी जी के विग्रह को स्थापित किया जाता है और उन्हें शोभा यात्रा मणि पर्वत तक ले जाया जाता है. मणि पर्वत से घंटे-दो घंटे के बाद शोभायात्राएं वापस लौट आती हैं, किंतु उसके साथ ही रामनगरी के हजारों मंदिरों में झूलन उत्सव का आरंभ होता है. सावन शुक्ल तृतीया से शुरू होने वाला उत्सव सावन शुक्ल पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन तक चलता है. यह उत्सव भक्तों के समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है.Location :Ayodhya,Faizabad,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshसावन के महीने में इस पर्वत पर जाते हैं प्रभु श्री राम, जानिए क्या है मान्यताएं