Uttar Pradesh

यूपी के इस गांव में रक्षा बंधन पर करते हैं विलाप, यहां सालों से भाइयों की कलाई है सूनी..जानिए क्या है दर्दभरी कहानी

Last Updated:July 23, 2025, 18:08 ISTSaharanpur News: गांव में जमाल खाँ पठान शासक हुआ करता था जो बहन, बेटियों और बहुओं के साथ अत्याचार किया करता था. उस अत्याचार से परेशान हुए ग्रामीणों ने शासन के सेवादार से मिलकर जमाल खाँ पठान को मारने की रणनीति ब…और पढ़ेंहाइलाइट्ससहारनपुर के अघ्याना गांव में नहीं मनता रक्षा बंधन.कहा जाता है कि उस क्षेत्र में जमाल खाँ पठान शासक हुआ करता था.जो बहन, बेटियों और बहुओं के साथ अत्याचार करता था.सहारनपुर: रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक है, जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को जिंदगी भर उसकी रक्षा करने का वचन देता है, लेकिन सहारनपुर का एक गांव ऐसा भी है, जहां रक्षाबंधन का त्योहार सैकड़ों साल से नहीं मनाया जाता. उस गांव का नाम है अघ्याना, जहां रक्षाबंधन वाले दिन नरसंहार हुआ था और उस नरसंहार में बहनों ने अपने भाइयों को खो दिया था.

बताया जाता है कि कभी उनके क्षेत्र में जमाल खाँ पठान शासक हुआ करता था, जो बहन, बेटियों और बहुओं के साथ अत्याचार करता था. उस अत्याचार से परेशान ग्रामीणों ने जमाल खाँ पठान को मारने की योजना बनाई और रक्षाबंधन वाले दिन जमाल खाँ पठान का सर कलम कर उसकी हत्या कर दी थी. उस नरसंहार में काफी खून खराबा हुआ था और कई बहनों ने अपने भाइयों को खो दिया था. तभी से ही गांव अघ्याना में रक्षाबंधन का त्यौहार आज तक नहीं मनाया जाता.

जमाल खाँ पठान नवविवाहित दुल्हन के साथ बिताता था पहली रात

ग्रामीण रवि दत्त शर्मा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि उनके जन्म से पहले ही इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता. बताया जाता है कि यहां पर एक पठान शासक हुआ करता था और यह पूरा गांव एक किला था, जो अब धीरे-धीरे खत्म हो गया. लेकिन आज भी उस किले के अवशेष जगह-जगह पर मिलते हैं. पठान शासक ने ग्रामीणों द्वारा पूजी जाने वाली 365 सती को उखड़वा कर अपने महल में लिखवाया था.

उसका आतंक इस कदर था कि गांव की बेटी की शादी होने पर वह पठान उस बेटी को एक रात के लिए अपने महल में रखता था. साथ ही अगर किसी लड़के की शादी होती थी, तब भी उसकी पत्नी को सबसे पहले जमाल खाँ पठान एक रात के लिए अपने महल में रखता था और उसके बाद गांव में भेजता था. ग्रामीणों ने जमाल खाँ पठान के आतंक से मुक्ति पाने के लिए उसके सेवादार से समझौता कर रणनीति तैयार की.

रक्षाबंधन वाले दिन हुआ था नरसंहार, कई बहनों ने खोए थे अपने भाई

जमाल खाँ पठान को मारने के लिए काफी नरसंहार हुआ. एक दिन जब जमाल खाँ पठान शिकार पर जंगल जा रहा था, तब उसके सेवादार ने जमाल खाँ पठान की बंदूक को पानी में फेंक दिया और पहले से तैयार बैठे ग्रामीणों को इसकी सूचना दे दी. इसके बाद ग्रामीणों ने जमाल खाँ पठान की गर्दन काटकर उसे मौत के घाट उतारा. उस नरसंहार में काफी ग्रामीणों की भी मौत हुई थी. वह दिन रक्षाबंधन का दिन था और तभी से ही इस गांव में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता.Location :Saharanpur,Saharanpur,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshयूपी के इस गांव में क्यों नहीं मनाया जाता है रक्षा बंधन, सुनकर कांप जाएंगे आप

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