Nauru From Rich To Fat Nation: दक्षिण प्रशांत महासागर में बसा छोटा-सा आइलैंड नेशन नौरू कभी दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिना जाता था. लेकिन आज ये एक अलग ही वजह से सुर्खियों में है. ये दुनिया के सबसे मोटे लोगों वाला देश बन चुका है. क्योंकि यहां की करीब 90% आबादी ओवरवेट या मोटापे का शिकार हैं. सवाल ये उठता है कि किसी जमाने का अमीर देश कैसे आज हेल्थ क्राइसिस का शिकार बन गया?
कैसे अमीर बना था नौरू?20वीं सदी में नौरू की किस्मत चमकी थी जब येां फॉस्फेट मिनरल की खोज हुई. ये खनिज पक्षियों की बीट से बना था और दुनियाभर में खेती के लिए बेहद जरूरी फर्टिलाइजर के तौर पर इस्तेमाल होता था. ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन जैसे देशों ने नौरू से जमकर फॉस्फेट खरीदा. 1970-80 के दशक में नौरू की पर कैपिटा इनकम इतनी ज्यादा थी कि ये सऊदी अरब से भी तुलना करने लगा था.
लेकिन फिर आया डाउन फॉललालच और ओवर माइनिंग के चलते कुछ ही दशकों में नौरू के ज्यादातर फॉस्फेट खत्म हो गए. खनन ने देश की जमीन को इतना बर्बाद कर दिया कि 80% हिस्सा खेती, निर्माण या खेलकूद के लायक नहीं रहा. वहां के नेचुरल रिसोर्सेज खत्म हो गए और इकॉनमी तबाह हो गई.
प्रोसेस्ड फूड्स बना मोटापे की वजहजब खेती की जमीन नहीं बची, तो नौरू को ज्यादातर भोजन बाहर से मंगवाना पड़ा. आयात किए जाने वाले खाद्य पदार्थों में मुख्य रूप से प्रोसेस्ड फूड्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, डिब्बाबंद मांस और जंक फूड्स शामिल हैं. ये सस्ते तो हैं लेकिन पोषण में बेहद कमजोर और कैलोरी में भारी होते हैं. वहीं शारीरिक गतिविधि के लिए पर्याप्त जगह और संसाधन न होने की वजह से लोगों की जीवनशैली सुस्त होती गई, और मोटापा तेजी से बढ़ा.
क्या है इसका असर?नौरू में अब मोटापे के साथ-साथ डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज जैसे बीमारियों की दर बहुत ज्यादा है. हेल्थ सिस्टम भी लिमिटेड है, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है.
सबक क्या है?नौरू की कहानी ये बताती है कि नेचुरल रिसोर्सेज का लालच और अनकंट्रोल्ड एक्सप्लोइटेशन एक देश को किस तरह बर्बादी की तरफ ले जा सकता है, इसके साथ हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन रखने के लिए सेल्फडिपेंडेंसी और बैलेंस्ड डाइट कितना जरूरी है. पैसा सबकुछ नहीं होता, अगर आपकी सेहत अच्छी नहीं है. अमीर बनना बुरा नहीं है, लेकिन मनी और हेल्थ का बैलेंस बेहद जरूरी है.