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Why Heart Patent need Cardiac Rehabilitation Therapy Offers New Hope of Recovery And Renewal | हार्ट सर्जरी या एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज को क्यों पड़ती है कार्डियक रीहैबलिटेशन थेरेपी की जरूरत? कार्डियोलॉजिस्ट से जानिए



Cardiac Rehabilitation Therapy: कार्डियक रिहैबिलिटेशन थेरेपी, जिसे अक्सर कार्डियक रिहैब कहा जाता है, ये कार्डियोवेस्कुलर कंडीशन या प्रोसीजर से रिकवर करने वाले मरीजों में दिल की सेहत को बेहतर बनाने के लिए डिजाइन किया गया एक मेडिकली सुपरवाइज्ड प्रोग्राम है. इस कंप्रिहेंसिव इंटरवेंशन का मकसद हार्ट डिजीज से जुड़े साइकोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल स्ट्रेस को कम करना, मृत्यु दर के जोखिम को घटाना और ओवरऑल लाइफ की क्वॉलिटी में सुधार करना है.
कार्डियक रिहैब की जरूरत क्यों?कार्डियक रिहैब उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें इस्कीमिक हार्ट डिजीज, हार्ट फेलियर जैसे कंडीशंस हैं, या जो मायोकार्डियल इंफ्रक्शन, एंजियोप्लास्टी, कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग, या वाल्व सर्जरी से उबर रहे हैं. ये उन लोगों के लिए भी सही है जो क्रोनिक स्टेबल एनजाइना या हार्ट प्लांटेशन के बाद की कंडीशन को मैनेज कर रहे हैं. इस प्रोग्राम का शुरुआती मकसद कार्डियक फंक्शन को रिस्टोर करना, एथेरोस्क्लेरोसिस की प्रोग्रेशन को स्टेबल करना या रिवर्स करना, और फ्यूचर में दिल से जुड़ी परेशानियों को रोकने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव को एनकरेज करना है.
कार्डियक रिहैब 3 फेज में किया जाता है.

पहला स्टेज (डायग्नोस्टिक स्टेज)ये स्टेज कार्डियोवेस्कुलर इवेंट या इंटरवेंशन के तुरंत बाद अस्पताल में शुरू होता है. इस लेवर पर, डॉक्टर शारीरिक क्षमता का आकलन करने और अस्पताल में डिकंडिशनिंग को रोकने के लिए हल्की एक्सरसाइज शुरू करने पर फोकस करते हैं. मरीजों को भविष्य की दिल की परेशानियों से बचने के लिए जरूरी लाइफस्टाइल एडजस्टमेंट के बारे में एजुकेट किया जाता है.
दूसरा स्टेज (आउट पेशेंट रिहैब स्टेज)जब मरीज मेडिकली स्टेबल हो जाते हैं, तो वो 3-12 हफ्ते तक चलने वाले आउट पेशेंट प्रोग्राम्स में चले जाते हैं. इस स्टेज में टेलर्ड एक्सरसाइज ट्रेनिंग, लाइफस्टाइल काउंसलिंग और रिलैक्सेशन प्रोग्राम शामिल होते हैं ताकि आजादी को बढ़ावा मिले और रेगुलर डेली लाइफ में लौटने की तैयारी हो सके.
तीसरा स्टेज (मेंटनेंस फेज)आखिरी स्टेज में, ट्रीटमेंट का शिफ्ट सेल्फ मॉनिटरिंग और आजादी पर फोकस हो जाता है, जिसमें एरोबिक कंडीशनिंग, फ्लेक्सिबिलिटी ट्रेनिंग और स्ट्रेंथ बिल्डिंग एक्सरसाइज शामिल होते हैं. मरीजों से कहा जाता है कि वो हार्ट हेल्थ एनश्योर करने के लिए हेल्थकेयर प्रोवाइजर्स के साथ रेगुलरली फॉलो-अप करें और अपनी दवाओं को सही वक्त और तरीके से लेने की सलाह दी जाती है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?इसके तरीके के बारे में बात करते हुए, दक्ष हार्ट केयर और मेडिवर्सल अस्पताल, पटना के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विकास सिंह (Dr. Vikas Singh) ने कहा, “कार्डियक रिहैब में कार्डियोलॉजिस्ट, नर्स, डाइटीशियन, फिजियोथेरेपिस्ट और मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल सहित एक इंटर-प्रोफेशनल टीम शामिल होती है, जो हर मरीज के लिए देखभाल को एडैप्ट करने के लिए मिलकर काम करती है. ये प्रोग्राम न सिर्फ रिकवरी के शारीरिक पहलुओं को अड्रेस करता है बल्कि मरीजों को अपनी सेहत के बारे में इंफॉर्म्ड डिसीजन लेने का हक भी देता है, जिससे एक हेल्दी फ्यूचर का रास्ता क्लीयर होता है. स्टडीज से पता चला है कि कार्डियककार्डियक रिहैबिलिटेशन दिल से जुड़ी क्षमता में सुधार करता है, अस्पताल में भर्ती होने को कम करता है, और सभी कारणों से होने वाली मृत्यु दर को कम करता है. ये सेहतमंद आदतों को बढ़ावा देता है, साइकोलॉजिकल वेलबीइंग को बढ़ाता है, और मरीजों को अपने कंडीशंस को असर ढंग से मैनेज करने के लिए तैयार करता है.”
 
कार्डियक रिहैब में क्या-क्या होता है?
1. एक्सरसाइज ट्रेनिंग: कार्डियोवेस्कुलर फंक्शन को बेहतर करने के लिए देखरेख में धैर्य और मांसपेशियों को मजबूत करने वाली एक्टिविटीज शामिल होती हैं
2. न्यूट्रीशनल काउंसलिंग: वजन, डायबिटीज और लिपिड लेवल्स को मैनेज करने के लिए हार्ट हेल्दी ईटिंग हैबिट्स पर काउंसलिंग के सेशन दिए जाते हैं.
3. रिस्क फैक्टर्स मैनेजमेंट: हाई बीपी और लिपिड कंट्रोल, स्मोकिंग बंद करना और स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान देना
4. साइकोलॉजिकल सपोर्ट: स्ट्रेस, एंग्जाइटी और ओवरऑल इमोशनल वेलबीइंग को अड्रेस करने और मैनेज करने में मदद करने के लिए जरूरी हेल्प दी जाती है.
5. पेशेंट एजुकेशन: इसमें मरीजों को अपने हार्ट कंडीशन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करना और दवा और दूसरे ट्रीटमेंट के पालन में सुधार करना शामिल है.
जिंदगी को बदलने वाली जर्नी
जो पेशेंट कार्डियक रिहैब से गुजरते हैं, वो अक्सर लाइफ की बेहतर क्वालिटी की रिपोर्ट करते हैं, हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल को जीने की अपनी क्षमता में ज्यादा मजबूत और कॉन्फिडेंट महसूस करते हैं. ये वास्तव में एक ट्रांजिशनल जर्नी है जो मरीजों को फिजिकल और इमोशनल तौर से अपने जीवन का रिबिल्ड करने में मदद करती है, जिससे लॉन्ग टर्म हेल्थ और जिंदगी जीने की ताकत को बढ़ावा मिलता है. 
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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