Manu Shri Kalki Mandir Sambhal, 1000 साल पुराना कल्कि मंदिर, दक्षिण भारतीय शैली में बना अनोखा धरोहर

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Last Updated:July 18, 2025, 22:08 ISTउत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित मनु श्री कल्कि मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और स्थापत्य दृष्टि से भी बेहद खास है. माना जाता है कि यह मंदिर 1000 वर्ष से अधिक पुराना है और इसकी खासियत यह है…और पढ़ेंउत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित मनु श्री कल्कि मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. कहा जाता है कि यह मंदिर 1000 वर्ष से अधिक पुराना है और इसकी संरचना एक प्राचीन नक्शे में भी दर्ज है, जिसमें मंदिर की आकृति सहित इसका नाम मनु श्री कल्कि मंदिर लिखा हुआ है.

इस मंदिर की एक खासियत यह है कि इसका निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है, जो उत्तर भारत में दुर्लभ माना जाता है। मंदिर के महंत का दावा है कि यह पूरे भारत में भगवान कल्कि का इकलौता मंदिर है। यही नहीं, देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक और श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं.

1000 वर्ष से अधिक पुराना है इतिहास
मंदिर के वर्तमान पुजारी महेंद्र शर्मा बताते हैं कि इस मंदिर को पहले मनु श्री कल्कि मंदिर के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसे केवल कल्कि मंदिर के नाम से पुकारा जाता है. उनके अनुसार, उनके पास एक 1000 वर्ष पुराना नक्शा है जो संभल क्षेत्र का है और उसमें इस मंदिर का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। मंदिर के निर्माण की सटीक तारीख ज्ञात नहीं है, लेकिन यह तय है कि यह हजार वर्षों से भी अधिक प्राचीन है. पुराणों के अनुसार, कलियुग में भगवान विष्णु का अंतिम और दसवां अवतार श्री कल्कि नारायण के रूप में संभल में होगा. इसी मान्यता के आधार पर इस मंदिर की स्थापना लगभग एक हजार वर्ष पूर्व की गई थी. यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का प्रतीक बना हुआ है, जहां लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दर्शन करने आते हैं.

300 वर्ष पूर्व हुआ था जीर्णोद्धारमंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार लगभग 300 वर्ष पूर्व इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा कराया गया था. मंदिर की शिल्पकला पूरी तरह से दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है, जो इसे उत्तर भारत के अन्य मंदिरों से अलग बनाती है. इतिहासकारों और पुरातत्व विभाग द्वारा इस मंदिर के धार्मिक और स्थापत्य इतिहास पर अभी तक कोई विस्तृत शोध नहीं किया गया है, जिस कारण यह मंदिर आज भी रहस्य से घिरा हुआ है। लेकिन स्थानीय लोगों और महंतों की मान्यता के अनुसार, यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि संस्कृति और विरासत के स्तर पर भी एक अनमोल धरोहर है.Location :Sambhal,Moradabad,Uttar Pradeshhomefamily-and-welfareजहां होगा विष्णु का अंतिम अवतार, संभल का प्राचीन मंदिर बना श्रद्धा का केंद्र

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