समय के साथ मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की की है. आज के समय में मेडिकल साइंस ने कई बीमारियों का इलाज खोज लिया है. इसी कडी में वैज्ञानिकों ने नवजात बच्चे में होने वाली लाइलाज बीमारी माइटोकॉन्ड्रियल का इलाज खोज लिया है. दरअसल ब्रिटेन में 3 लोगों के DNA से 8 बच्चों का जन्म हुआ है. ऐसा इसलिए किया गया ताकि बच्चे को जानलेवा बीमारी से बचाया जा सके.
माइटोकॉन्ड्रियल माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी में कुछ बच्चे जन्म के कुछ ही दिनों में अपनी जान गवां देते हैं. वहीं कुछ बच्चों के शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं. परिवार के किसी सदस्य या फिर मां को अगर ये बीमारी हो चुकी है तो बच्चे में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है. ऐसे में वैज्ञानिकों से तीन लोगों के DNA की मदद से बच्चे को जन्म दिया है. ताकि बच्चे को इस खतरनाक बीमारी से बचाया जा सके.
क्या है माइटोकॉन्ड्रियल बीमारी माइटोकॉन्ड्रिया शरीर का पावरहाउस होता है. माइटोकॉन्ड्रिया शरीर की कोशिकाओं के अंदर पाया जाता है जो कि ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर खाने को ऊर्जा में बदलता है ताकि शरीर सही काम कर सकें. अगर माइटोकॉन्ड्रिया ठीक से काम नहीं करता है तो शरीर में एनर्जी नहीं बन पातीहै. ऐसे में मांसपेशियां कमजोर होती है, दौरे पड़ना, दिमाग को नुकसान और शरीर के कई अंग फेल हो सकते हैं. माइटोकॉन्ड्रिया मां से बच्चे को जाती है.
क्या है नई तकनीक ब्रिटेन में इस्तेमाल होने वाली इस तकनीक का विकास लगभग 10 साल पहले न्यूकसल यूनिवर्सिटी और न्यूकासल अपॉन टाइन हॉस्पिटल एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट में हुआ था. इस तकनीक में मां और डोनर महिला के एग्स को लैब में पिता के स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है. इस तकनीक से जन्में बच्चों में माइटोकॉन्ड्रिय बीमारी नहीं होती है.
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