Vaccination Among Children: यूनाइटेड नेशंस की दो बड़ी संस्थाएं, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ, ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया है कि साल 2024 में दुनिया भर में 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा बच्चों का वैक्सिनेशन नहीं हुआ है. इन्हें एक डोज तक नहीं मिली.
वैक्सीन से महरूमरिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि पिछले साल तकरीबन 2 करोड़ छोटे बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी (DTP) से बचाने वाले टीकों की एक खुराक भी नहीं मिल पाई है. ये सीरियस कंसर्न है, क्योंकि इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है. 3 करोड़ से ज्यादा बच्चों को खसरे का टीका ठीक से नहीं मिल पाया, जिसके चलते कई जगहों पर खसरे के कई मामले सामने आए.
मिजिल्स का आउटब्रेक2024 में मिजिल्स का आउटब्रेक 60 देशों में देखने को मिला. 2022 में ऐसे मामले सिर्फ 33 देशों में थे. रिपोर्ट में बताया गया है कि वैक्सिनेशन की सुविधा तक पहुंच की कमी के कारण बहुत सारे बच्चे इससे महरूम रहे. इसके अलावा, रुकावट, सप्लाई, स्ट्रगल और इनस्टेबिलिटी के अलावा वैक्सीन के बारे में गलत जानकारी भी बच्चों के टीकाकरण में बाधा बनी.
क्यों नहीं लग पा रहे टीके?डब्ल्यूएचओ (WHO) के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस (Dr. Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने कहा, “वैक्सी जिंदगियां बचाती हैं. इनकी वजह से लोग, उनके परिवार, पूरा समाज, देश की इकॉनमी और पूरा देश तरक्की कर सकते हैं.” उन्होंने कहा कि बच्चों को टीके न लग पाने की दो बड़ी वजहें सामने आई, पहली, मदद में भारी कमी और दूसरी, टीकों को लेकर गलत जानकारी फैलना.
क्या कहती है रिपोर्ट?रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि 2024 में दुनियाभर में बचपन के वैक्सिनेशन का लेवल पहले जैसा ही रहा. 2023 के मुकाबले करीब 1,71,000 बच्चों को कम से कम एक टीका लगाया गया और 10 लाख से ज्यादा बच्चों ने डीटीपी टीके की पूरी 3 खुराकें पूरी कीं.
साल 2024 में दुनिया भर में 89 फीसदी छोटे बच्चों यानी करीब 11.5 करोड़ बच्चों को डीटीपी टीके की कम से कम एक खुराक ही दी गई. वहीं 85 फीसदी बच्चों यानी करीब 10.9 करोड़ बच्चों ने इस टीके की तीनों खुराकें पूरी कर लीं.
2024 में खसरे के टीके की कवरेज में थोड़ा सुधार हुआ. 84 फीसदी बच्चों को खसरे का पहला टीका मिला. 76 फीसदी बच्चों को दूसरा टीका भी मिला. ये आंकड़े 2023 से थोड़े बेहतर हैं. 2024 में तकरीबन 20 लाख और बच्चों को टीका लगाया गया. बावजूद इसके, कुल मिलाकर जितने बच्चे टीका लगवाते हैं उनकी संख्या अभी भी बहुत कम है.
कितने फीसदी बच्चों का टीकाकरण जरूरी?वैज्ञानिकों का मानना है कि खसरे जैसी बीमारियों से बचाव के लिए हर जगह कम से कम 95 फीसदी बच्चों को टीका लगना चाहिए. यूनिसेफ की मुख्य अधिकारी कैथरीन रसेल (Catherine Russell) ने कहा, “अच्छी खबर ये है कि अब हम ज्यादा बच्चों तक टीके पहुंचा पाए हैं. लेकिन फिर भी, लाखों बच्चे ऐसे हैं जिन्हें अभी भी टीका नहीं मिला, ये बात हम सबके लिए चिंता का विषय है.”
ज्यादा मेहनत की जरूरतकैथरीन रसेल ने सरकारों से कहा कि उन्हें ज्यादा मेहनत करनी चाहिए ताकि ये मुश्किलें दूर हो सकें. अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हैं, टीकों के बारे में गलत जानकारी फैली हुई है, और संघर्षों के कारण टीका लगवाना मुश्किल हो गया है. उन्होंने साफ तौर पर कहा, ”कोई भी बच्चा ऐसी बीमारी से मरना नहीं चाहिए, जिससे हम उनका बचाव कर सकते हैं.”
(इनपुट-आईएएनएस)