How To Choose Right Doctor: पहले के मुकाबले आजकल लोग काफी ज्यादा बीमार पड़ रहे है, कम उम्र में भी ऐसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिन्हें मिडिल या ओल्ड एज डिजीज समझा जाता था. ऐसे में मेडिकल बिल बढ़ना लाजमी है, लेकिन जब आपकी तबीयत खराब होती है, तो ये सवाल जरूर उठता है कि किस अस्पताल, क्लीनिक या डॉक्टर के पास जाएं. मशहूर क्रैनियोफेशियल सर्जन डॉ. अनुज कुमार (Dr. Anuj Kumar) जनता से अहम अपील की है, आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा.
कैसे चुनें सही डॉक्टर?
डॉ. अनुज ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि सही डॉक्टर का चुनाव कैसे करें.
1. अगर किसी भी क्लिनिक या अस्पताल का प्रचार कोई सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर कर रहा हो तो वहाँ कभी न जाएं. याद रखें, मार्केटिंग के एक-एक पैसे का बोझ मरीजों पर ही पड़ता है.अगर किसी भी क्लिनिक को एडवर्टाइजमेंट के लिए इंफ्लूएंसर की जरूरत पड़ रही है तो वहां डॉक्टरों का स्तर न्यूनतम होगा.
2. ज्यादातर गूगल रिव्यू फेक रहते हैं. उस पर आंख बंद कर भरोसा न करें.
3. मरीज को क्या बीमारी है, वो बीमारी क्यों हुई, इलाज के क्या-क्या उपाय हैं, इलाज न कराने से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं. ये सारी जानकारी अगर डॉक्टर न दें या न दे पाएं तो सेकेंड ओपीनियन लीजिए.
4. किसी भी डॉक्टर का अगर अपना फार्मेसी है तो वो चाहेंगे कि आप वहाँ से दवाई लें. ये चाहने में कोई दिक्कत नहीं. लेकिन “दवाई यहीं मिलेगी” या “दवा यहीं से लेनी पड़ेगी”- अगर वो ये कहते हैं तो इसमें दिक्कत है. फिर डॉक्टर बदल लीजिए. इसी तरह अगर कोई डॉक्टर कहे कि बस उनके यहां की लैब की रिपोर्ट ही मान्य होगी तो ऐसे डॉक्टर से बचें.
5. इलाज की गारंटी देने वालों से दूर रहिए. वो ज्यादातर गड़बड़ निकलते हैं.
सही डॉक्टर का चुनाव कैसे करें:-
1.अगर किसी भी क्लिनिक या अस्पताल का प्रचार कोई social media influencer कर रहा हो तो वहाँ कभी न जाएँ।याद रखें, मार्केटिंग के एक-एक पैसे का बोझ मरीजों पर ही पड़ता है।अगर किसी भी क्लिनिक को प्रचार के लिए influencer की ज़रूरत पड़ रही है तो वहाँ…
— Dr Anuj Kumar (@dranuj_k) July 4, 2025
6. सेकेंड ओपीनियन लेने की बात पर अगर कोई डॉक्टर भड़क उठे तो वो डॉक्टर ठीक नहीं.
7. ज्यादातर समय, खासकर ICU में गंभीर मरीज के बारे में लोग अक्सर डॉक्टर से सवाल करते हैं कि मरीज कब तक ठीक हो जाएंगे. इस सवाल का जवाब किसी डॉक्टर के पास नहीं होता. वो भविष्यवक्ता नहीं हैं कि भविष्यवाणी करें. मरीज की स्थिति कैसी है और जो इलाज चल रहा है उससे स्थिति में क्या बदलाव आ रहा है – अगर डॉक्टर ये अच्छे से बता रहे हैं तो ठीक है.
8. डॉक्टर की डिग्री जरूर देखें. डिग्री अच्छे से उनके पर्चे पर लिखी होनी चाहिए.
9. इलाज के खर्च को लेकर ट्रांसपेरेंसी होनी चाहिए.
10. अगर डॉक्टर कोई जांच या दवा लिखते हैं तो जरूर पूछें कि वो जांच किस लिए लिखी जा रही है. अच्छे डॉक्टर ज़रूर बताएंगे कि किस जाँच या किस दवा का क्या उद्देश्य है.
ये सारी चीज़ें प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों पर लागू होती हैं. सरकारी अस्पतालों में वक्त की कमी के कारण डॉक्टर ज्यादा समय नहीं दे पाते, लेकिन जो बुनियादी चीजें हैं वो उन्हें भी देनी चाहिए.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.