How AI Technology is Changing Procedure of Plastic Surgery And Recovery Time | नई तकनीक ने प्लास्टिक सर्जरी में मरीज की रिकवरी टाइम को कैसे किया कम? एक्सपर्ट सर्जन से जानिए

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How AI Technology is Changing Procedure of Plastic Surgery And Recovery Time | नई तकनीक ने प्लास्टिक सर्जरी में मरीज की रिकवरी टाइम को कैसे किया कम? एक्सपर्ट सर्जन से जानिए



Plastic Surgery: हाल के कुछ सालों में प्लास्टिक सर्जरी के फील्ड में जबरदस्त बदलाव देखा गया है. जो कभी सिर्फ स्कैल्पल और स्टिचेज पर डिपेंड थी, वो अब एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, बेहतरीन टूल्स और कुशल कलात्मकता के कॉम्बिनेशन में बदल गई है. इन एडवांसमेंट ने न सिर्फ प्रोसीजर्स को सेफ और ज्यादा एफिशिएंट बनाया है, बल्कि रिजल्ट्स में भी सुधार किया है और मरीजों के लिए रिकवरी टाइम को कम किया है. 

नई तकनीकों का बढ़ता इस्तेमाल
डॉ. भूषण आर पाटिल (Dr. Bhushan R Patil), एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ प्लास्टिक सर्जरी, डॉ. डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, पिंपरी, पुणे, ने बताया कि सबसे बड़ी कामयाबियों में से एक पावर-असिस्टेड लाइपोसेक्शन का यूज है, जो फैट को ढीला करने के लिए वाइब्रेशन का इस्तेमाल करता है, जिससे इसे निकालना आसान और कम दर्दनाक हो जाता है. अल्ट्रासाउंड-असिस्टेड लाइपोसेक्शन और VASER साउंड वेव्स से वसा को पिघलाकर एक कदम आगे बढ़ते हैं, जो खास तौर से बड़े एरियाज या रिविजन सर्जरी में स्मूदर कॉन्टूरिंग देते हैं.

पीजोइलेक्ट्रिक डिवाइस एक और इनोवेशन हैं, जो आसपास के टिशूज को प्रिजर्व करते हुए हड्डियों या कार्टिलेज में सटीक कट करने के लिए अल्ट्रासोनिक वाइब्रेशन का इस्तेमाल करते हैं. पावर कटिंग टूल्स भी हद से ज्यादा सटीक हड्डी रीशेपिंग की इजाजत देते हैं, जिससे एफिशिएंसी और खूबसूरती दोनों में सुधार होता है.
इन तकनीकों ने सर्जरी को कम पेनफुल बना दिया है, ब्लीडिंग और चोट को कम कर दिया है, और हीलिंग प्रॉसेस को तेज करने में मदद की है, जिससे मरीजों और सर्जनों दोनों के लिए बेहतर एक्सपीरिएंस मिलता है.

3D इमेजिंग और प्लानिंग की अहमियतएक और अहम डेवलपमेंट 3डी इमेजिंग और प्लानिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल है. ये सर्जन्स को प्रॉसिजर्स शुरू होने से पहले ही सर्जिकल आउटकम की कल्पना करने की इजाजत देता है.  मरीज अपने “पहले और बाद” का सिमुलेशन देख सकते हैं, जो रियलिस्टिक एक्सपेक्टेशंस सेट करने में मदद करता है. सीटी या एमआरआई स्कैन के बेस पर कस्टम-मेड इम्प्लांट, मरीजों की अनूठी शारीरिक रचना के हिसाब से डिजाइन किए जाते हैं, जिससे वो कॉम्पलेक्स रिकंस्ट्रक्शन के लिए खास तौर से यूजफुल होते हैं. इसके अलावा, मॉडर्न इम्प्लांट, फिलर्स और टांके ज्यादा  टिशू फ्रेंडली होते हैं, जिससे रिएक्शंस या कॉमप्लिकेशंस का रिस्क कम होता है.

नॉन-इनवेसिव ट्रीटमेंट में डेवलपमेंटजो लोग नॉन-इनवेसिव ट्रीटमेंट पसंद करते हैं, उनके लिए एनर्जी बेस्ड डिवाइसेस इफेक्टिव ऑप्शन प्रोवाइड करते हैं. लेजर ट्रीटमेंट स्किन की बनावट और टोन में सुधार करते हैं, HIFU (हाई-इंटेंसिटी फोकस्ड अल्ट्रासाउंड) स्किन को अंदर से कसने में मदद करता है, और माइक्रोनीडलिंग विद रेडियोफ्रीक्वेंसी (MNRF) कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है, जिससे निशान और महीन रेखाएं कम होती हैं. लाइपोसेक्शन के बाद स्किन की फर्मनेस में सुधार के लिए अल्ट्रासाउंड-बेस्ड स्किन टाइट करने वाले डिवाइसेस भी इफेक्टिव हैं.
ह्यूमन टच भी जरूरीइन सभी टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट के बावजूद, एक बात जो जरूरी है, वो है ह्यूमन टच, जबकि मशीनें और सॉफ्टवेयर सटीकता देते हैं, ये सर्जन की एक्सपर्टीज, समझ और आर्टिस्टिक जजमेंट है जो एंड रिजल्ट को शेप देता है. हर मरीज की जर्नी यूनिक होती है, और पर्सनलाइज्ड केयर कामयाब नतीजों का आधार बना हुई है.
 
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.



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