Last Updated:July 13, 2025, 10:55 ISTSwan 2025: आजमगढ़ के पातालपुरी में प्राचीन शिव जी का मंदिर है. यह शिव मंदिर 500 साल पुराना है. सावन के महीने में हर साल भक्तों की लाखों की भीड़ इकट्ठा होती है. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल चढ़कर और अभिषेक कर …और पढ़ेंकहते हैं कंकड़-कंकड़ में शंकर का वास होता है. भगवान शिव हर रूपों में पृथ्वी पर मौजूद है. कहीं भोलेनाथ महाकाल के रूप में मौजूद हैं. कहीं विश्वनाथ के रूप में भोलेनाथ कहीं पशुपतिनाथ के रूप में पूजे जाते हैं. उनका अवतार स्वयंभू हो जाता है. इसी तरह आजमगढ़ जिले में भी भगवान भोलेनाथ का एक स्वरूप विराजमान है. जिसे भंवरनाथ बाबा के रूप में पूजा जाता है.
शहर मुख्यालय से लगभग 3 किलोमीटर पश्चिम में स्थित बाबा भंवरनाथ का भव्य मंदिर है. भोलेनाथ का यह मंदिर सिर्फ आजमगढ़ वासियों के लिए ही नहीं बल्कि अगल-बगल के क्षेत्र और जिलों के लोगों के लिए भी आस्था का मुख्य केंद्र है सावन के महीने में हर साल भक्तों की लाखों की भीड़ इकट्ठा होती है. भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल चढ़कर और अभिषेक कर पूजा पाठ करते हैं.
गाय ने अपने दूध से किया प्रथम अभिषेक
दुनिया के प्राचीन शिव लिंग में से एक आजमगढ़ में विराजमान है. यह भगवान भंवरनाथ के शिवलिंग का इतिहास लगभग 500 वर्षों से अधिक पुराना है. भोलेनाथ यह मंदिर में पातालपुरी महादेव के रूप में विराजमान है. भंवरनाथ मंदिर का निर्माण 1951 में शुरू हुआ था जिसे बनकर तैयार होने में तकरीबन 7 साल से अधिक का समय लगा था और 13 दिसंबर 1958 में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ था. मंदिर के पुजारी गणेश गिरी ने बताते हैं कि लगभग 500 वर्ष पहले यहां पर एक ऋषि अपनी गाय चाराने आते थे. इस स्थान पर जंगली घास हुआ करती थी गाय चरते चरते जब इस स्थान पर पहुंचती तो गाय का दूध अचानक यहां गिरने लगता था. हर रोज यहां पर गाय चरने आती और जैसे ही इस स्थान पर पहुंचती उसका दूध अचानक इस स्थान पर गिरना शुरू हो जाता था. ऋषि मुनि को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने आसपास के लोगों की मदद से स्थान पर खुदाई कराई.
भवरों के साथ प्रगट हुए पातालपुरी महादेवउस स्थान पर खुदाई करने के दौरान अचानक से भवरों का समूह निकलने लगा. इस स्थान पर गहरी खुदाई करने के दौरान पातालपुरी महाराज का शिवलिंग प्रकट हुआ, तभी से लोग यहां पर पूजन अर्चन करते हैं. क्योंकि खुदाई के दौरान इस स्थान से काफी संख्या में भंवरे निकले थे. इसीलिए इस स्थान का नाम भंवरनाथ पड़ा और यह मंदिर बाबा भंवरनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ. यहां पर हर रोज हजारों श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के इस पातालपुरी स्वरूप का दर्शन करने आते हैं. मान्यता है कि यहां पर अपनी मनोकामनाएं मांगते हुए दर्शन करने से सारी इच्छा पूरी होती हैं.
महाकालेश्वर के रूप में होता है श्रृंगारभंवरनाथ मंदिर में पातालपुरी महादेव का प्रतिदिन श्रृंगार होता है. यह श्रृंगार सोमवार को विशेष हो जाता है. क्योंकि हर सोमवार को भगवान भोलेनाथ का बाबा महाकालेश्वर के रूप में श्रृंगार किया जाता है. जिसका दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी संख्या मंदिर में एकत्रित होती है.सावन के महीने में इस मंदिर पर कांवड़ यात्रियों का मेला लगता है देश भर से लाखों की संख्या में कांवड़ यात्री भोलेनाथ पर जल अर्पित करते हैं. पूजा पाठ करते हुए अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. सावन के महीने में यहां पर प्रतिदिन भक्तों के द्वारा शिव महिमा के पाठ एवं कथा का भी आयोजन किया जाता है पूरे सावन भर मंदिर के आसपास मेले जैसा माहौल होता है.Location :Azamgarh,Uttar Pradeshhomedharmसैकड़ों साल पहले यहां पर प्रगट हुए थे महादेव, महाकालेश्वर की तरह होता श्रृंगार