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parkinson new treatment this injection can take the burden of taking medicine daily | पार्किंसंस मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है ये इंजेक्शन वाली दवा, रोजाना गोलियां लेने से मिला छुटकारा



Parkinson Injection Benefits: पार्किंसंस बीमारी की इस दवा से करीब 80 लाख लोगों की जिंदगी बदल सकती है, क्योंकि इससे मरीजों को रोजाना कई गोलियां लेने से छुटकारा मिल सकता है. बार-बार दवा लेना मुश्किल होता है, खासकर बुजुर्गों के लिए या जिनको दवा निगलने में दिक्कत होती है. ऐसे में दवा सही समय पर न लेने से न सिर्फ दवा का असर कम होता है, बल्कि इसके साइड इफेक्ट्स बढ़ जाते हैं और बीमारी ठीक से कंट्रोल नहीं हो पाती.
 
पार्किंसंस बीमारी की नई दवाइस समस्या को समाधान करने के लिए, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ अफ्रीका (यूनिसा) की टीम ने एक ऐसी इंजेक्शन वाली दवा बनाई है, जो लंबे समय तक काम करती है. इस दवा में पार्किंसंस की दो मुख्य दवाइयां, लेवोडोपा और कार्बिडोपा, शामिल हैं. ये दवा पूरे हफ्ते असर करती है.
 
बायोडिग्रेडेबल क्या है?ड्रग डिलीवरी एंड ट्रांसलेशनल रिसर्च मैगजीन में पब्लिश्ड रिसर्च में बताया गया कि यह दवा खास तरह की होती है, इसे बायोडिग्रेडेबल कहते हैं. इस दवा को इंजेक्शन के रूप में लगाया जाता है. यह दवा धीरे-धीरे सात दिनों तक शरीर में असर करती है.
 
इंजेक्शन वाली दवा के इलाज के नतीजेयूनिसा के फार्मास्यूटिकल इनोवेशन सेंटर के प्रोफेसर संजय गर्ग ने कहा है कि यह नई इंजेक्शन वाली दवा इलाज के नतीजों को बेहतर बना सकती है. इससे मरीजों के लिए भी दवा लेना आसान हो जाएगा. साथ ही बीमारी ठीक होने में मदद मिलेगी.
 
इलाज को आसान करती है ये दवाप्रोफेसर गर्ग ने कहा, ”हमारा मकसद ऐसी दवा बनाना था जो इलाज को आसान बनाए. मरीज दवा को सही तरीके से लें, और दवा का असर लगातार बना रहे. यह हफ्ते में एक बार लगने वाला इंजेक्शन पार्किंसंस की देखभाल में बड़ा बदलाव ला सकता है.”
 
इंजेक्शन वाली दवा के फायदेउन्होंने आगे कहा, ”लेवोडोपा पार्किंसंस की सबसे असरदार दवा है, लेकिन इसका असर जल्दी खत्म हो जाता है, इसलिए इसे दिन में कई बार लेना पड़ता है. लेकिन यह इंजेक्शन एक जेल की तरह होता है, जिसमें दो खास पदार्थ, पहला पीएलजीए, जो शरीर में धीरे-धीरे घुल जाता है, और दूसरा यूड्रैगिट एल-100, जो पीएच के हिसाब से काम करता है और दवा को सही समय पर छोड़ता है, मौजूद हैं.
 
कहां-कहां काम करती है ये दवा?गर्ग ने कहा, ”इस दवा को पतली 22-गेज सुई से इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है. इससे मरीज को ज़्यादा तकलीफ नहीं होती और किसी भी सर्जरी की जरूरत भी नहीं पड़ती.” उन्होंने कहा कि यह तकनीक सिर्फ पार्किंसंस के लिए ही नहीं, बल्कि कैंसर, डायबिटीज, दिमागी बीमारियां, दर्द कम करने और लंबे समय तक चलने वाले संक्रमण जैसी अन्य लंबी बीमारियों के इलाज में भी काम आ सकती है.–आईएएनएस
 
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.



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