मुनाफ पटेल भारतीय क्रिकेट टीम के ऐसे तेज गेंदबाज रहे हैं जिनका इंटरनेशनल करियर महज पांच साल का रहा. लेकिन, इस छोटे से करियर में उन्होंने वनडे, टेस्ट और टी20 में अपनी रफ्तार और किफायती गेंदबाजी से सभी को प्रभावित किया. वह 2011 वर्ल्ड कप विजेता भारतीय टीम के महत्वपूर्ण सदस्य रहे. इस टूर्नामेंट में पाकिस्तान के खिलाफ एक अहम मैच में दो विकेट लेकर उन्होंने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. 12 जुलाई यानी आज मुनाफ पटेल का 42वां जन्मदिन है.
स्पीड ने सबसे पहले चर्चा बटोरी
मुनाफ पटेल की गेंदबाजी में उनकी तेज स्पीड ने सबसे पहले चर्चा बटोरी थी. भारतीय टीम के तत्कालीन हेड कोच ग्रेग चैपल भी इस गति से बहुत प्रभावित थे. 2005-2007 के बीच का समय था, जब ग्रेग चैपल ने मुनाफ की प्रतिभा की काफी तारीफ की थी. चैपल ने मुनाफ को भारत का अब तक का सबसे तेज गेंदबाज बताया था. यह वो समय था जब भारतीय टीम का पेस अटैक अपनी रफ्तार के कारण नहीं जाना जाता था.
इस भारतीय गेंदबाज की शोएब अख्तर से होती थी तुलना
मुनाफ पटेल की तुलना उस दौर में पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर से होती थी. ग्रेग चैपल मुनाफ पटेल की स्पीड से हैरान थे, उनको सुखद आश्चर्य हुआ था. मुनाफ पटेल को भारत के शोएब अख्तर के तौर पर देखा जाने लगा था. हालांकि मुनाफ पटेल की रफ्तार शोएब अख्तर जितनी नहीं थी. ग्रेग चैपल का मानना था कि अगर मुनाफ पटेल अपनी फिटनेस बनाए रखें, तो वह वर्ल्ड क्रिकेट में भारत के लिए एक बड़ा हथियार बन सकते हैं.
स्पीड 90 मील प्रति घंटा रहती थी
घरेलू क्रिकेट में अपने टैलेंट का डंका बजाने के बाद मुनाफ पटेल ने साल 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया और अपनी स्पीड से सभी को प्रभावित किया था. आमतौर पर उनकी गेंदबाजी की स्पीड 90 मील प्रति घंटा रहती थी, जो उस समय एक भारतीय गेंदबाज के लिए बहुत ज्यादा तेज थी. खास बात यह है कि मुनाफ पटेल का जन्म उस साल हुआ, जब भारत ने पहली बार वनडे इंटरनेशनल में वर्ल्ड कप अपने नाम किया था.
भरूच एक्सप्रेस का नाम दिया गया
साल 1983 में 12 जुलाई को गुजरात के भरूच जिले के एक गांव में इस खिलाड़ी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. हालांकि, क्रिकेट ने उनकी और उनकी परिवार की जिंदगी हमेशा के लिए बदलकर रख दी. क्रिकेट एक्सपर्ट के अनुसार, घरेलू क्रिकेट में उनकी तेज गति के कारण उन्हें भरूच एक्सप्रेस का नाम दिया गया. हालांकि, तब भी उन्होंने फर्स्ट-क्लास क्रिकेट नहीं खेला था. मुनाफ ने अपना पहला टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ खेला था और सात विकेट लेकर सनसनी मचा दी. उनकी रफ्तार चर्चा का विषय थी और लाइन-लेंथ पर बेहतर कंट्रोल भी देखने के लिए मिला.
और फिर इस कारण स्पीड गिर गई
हालांकि, बार-बार लगने वाली चोटों ने उनके करियर को छोटा और रफ्तार को सीमित किया था. वह टेस्ट टीम में नियमित स्थान नहीं बना पाए और बाद में बैकअप सीमर बन गए. चोटों की वजह से मुनाफ की स्पीड भी करियर की संध्या पर घटकर 125 से 130 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच हो गई थी. करियर के इस पड़ाव पर मुनाफ ऑस्ट्रेलियाई लीजेंड ग्लेन मैक्ग्रा से प्रेरित थे, जिन्होंने स्पीड के बजाए अपनी लाइन-लेंथ से तेज गेंदबाजी की दुनिया में अपना डंका बजाया था. वह अपनी किफायती गेंदबाजी से जहां कम रन लुटाते थे, वहीं विकेट लेकर हमेशा टीम की जीत में अहम भूमिका निभाते थे. मुनाफ एक वक्त तक टीम के लिए डेथ ओवरों में कप्तान के लिए पहले विकल्प बन चुके थे.
फिर गुमनामी में खत्म हो गया करियर
मुनाफ पटेल अपने करियर में 2011 वर्ल्ड कप की जीत को यादगार पल बताते हैं. इस टूर्नामेंट में मुनाफ ने काफी अच्छी गेंदबाजी की. 8 मैचों में 11 विकेट लिए, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में उनकी शानदार गेंदबाजी (10 ओवर में 40 रन, 2 विकेट) ने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई. उस वक्त भारतीय टीम कें गेंदबाजी कोच ने उन्हें छुपा रुस्तम कहा था. हालांकि वर्ल्ड कप साल के बाद उनका अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर भी नहीं चल सका. क्रिकेट से संन्यास के बाद पटेल आईपीएल में कई टीमों के लिए कोचिंग भी कर चुके हैं. वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और अपने फैंस के लिए अपनी जिंदगी और क्रिकेट से संबंधित अपडेट देते रहते हैं.
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