Last Updated:July 10, 2025, 22:51 ISTBarabanki News: बाराबंकी के किसान अब लोबिया की खेती कर हर फसल में 80-90 हजार रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं. कम लागत और बाजार में लगातार मांग के कारण लोबिया लाभदायक साबित हो रही है. हाइलाइट्सबाराबंकी के किसान ने 3 बीघे में की लोबिया की खेती की.एक फसल पर 80-90 हजार रुपये तक का मुनाफा हो रहा है.एक बीघे में लागत मात्र 2500 से 3000 रुपए है.बाराबंकी: किसानों को पारंपरिक फसलें अब घाटे का सौदा लगने लगी हैं. ऐसे में किसानों के लिए लोबिया की खेती एक नया रास्ता बनकर उभर रही है. कम लागत, जल्दी तैयार फसल और बाजार में लगातार बनी मांग ने इसे एक फायदे वाला सौदा बना दिया है. बाराबंकी जिले के बेरहरा गांव के रहने वाले किसान चमन इसका ज़िंदा उदाहरण हैं, जो सिर्फ 3 बीघे जमीन पर लोबिया की खेती करके एक फसल में 80 से 90 हजार रुपये तक का मुनाफा कमा रहे हैं.
लोकल18 से बातचीत में किसान चमन ने बताया कि वे पिछले कई सालों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. पहले लौकी, तुरई, हरी मिर्च जैसी सब्जियों पर ध्यान था. ऐसे में जब से उन्होंने लोबिया की खेती शुरू की, तब से कम लागत और अच्छे दामों की वजह से उनकी आमदनी में जबरदस्त इज़ाफा हुआ है.
लोबिया की खेती में कम आती है लागत
चमन बताते हैं कि लोबिया की खेती में बहुत ज़्यादा खर्च नहीं आता है. एक बीघे में महज ढाई से तीन हजार रुपये की लागत आती है, जिसमें बीज, जुताई और खाद शामिल हैं. जबकि फसल तैयार होते ही हर दिन की तुड़ाई होती है और ताज़ा सब्ज़ी को सीधे बाजार में बेचा जाता है. लोबिया की खेती अब भी बहुत कम किसान करते हैं.
मल्च विधि से बढ़ी पैदावारचमन ने बताया कि वे लोबिया की खेती मल्च विधि से करते हैं. इस तकनीक में खेत को पॉलीथिन या भूसे जैसी परत से ढक दिया जाता है, जिससे नमी बनी रहती है और सड़न या गलन का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है. इससे पौधे जल्दी बढ़ते हैं और साफ-सुथरी फसल मिलती है.
खेती की प्रक्रिया के बारे में चमन कहते हैं, “सबसे पहले खेत की दो-तीन बार जुताई करते हैं. फिर उसमें गोबर की खाद और यूरिया जैसी उर्वरक डालते हैं. उसके बाद ज़मीन को समतल कर लोबिया के बीज की बुआई की जाती है. जब पौधे थोड़े बड़े हो जाते हैं, तब हम सिंचाई करते हैं और करीब 2 से ढाई महीने में फसल निकलनी शुरू हो जाती है.”
हर दिन बाजार में बिकती है फसललोबिया की एक खास बात यह है कि यह धीरे-धीरे तैयार होती है और हर दिन कुछ न कुछ तुड़ाई के लिए मिल जाता है. यानी किसान को एक बार में नहीं बल्कि हर दिन फसल बेचने का मौका मिलता है, जिससे नकद आमदनी लगातार बनी रहती है. चमन बताते हैं कि हम सुबह-सुबह खेत से लोबिया तोड़ते हैं और दोपहर तक इसे लोकल मंडी में या गांव के पास की दुकानों पर बेच देते हैं. डिमांड इतनी है कि कभी माल बचता ही नहीं.Location :Lucknow,Lucknow,Uttar Pradeshhomeagricultureलोबिया ने बदल दी किसान की किस्मत! हर फसल में 90 हजार का हो रहा मुनाफा, जानिए