Health

study revealed air pollution can cause brain tumor among people living in city | हवा में घुला जहर सिर्फ फेफड़े नहीं सड़ा रहा, सिटी में रहने वाले लोगों में ब्रेन ट्यूमर के लिए जिम्मेदार, स्टडी का दावा



अब तक प्रदूषित हवा को सिर्फ त्वचा, बाल, फेफड़ों और सांस संबंधित बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता था. लेकिन हालिया एक स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण न केवल दिल और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह ब्रेन में एक सामान्य ट्यूमर, मेनिनजियोमा के खतरे को भी बढ़ा सकता है.
मेनिनजियोमा नामक ट्यूमर, जो आमतौर पर कैंसररहित होता है, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली पतली परत मेनिन्जेस में बनता है. वैसे तो यह ट्यूमर ज्यादा गंभीर नहीं होता है, लेकिन कभी-कभी ये तेज सिरदर्द, दौरे पड़ना या अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याओं की वजह बन सकता है.
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स्टडी का खुलासा
न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रदूषण और मेनिनजियोमा के बीच एक संबंध होता है, हालांकि यह साबित नहीं हुआ कि प्रदूषण ही इसका कारण है. अध्ययन में ट्रैफिक से जुड़े प्रदूषकों जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और अल्ट्रा फाइन कणों का विश्लेषण किया गया, जो शहरी क्षेत्रों में अधिक पाए जाते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों का इन प्रदूषकों के संपर्क में ज्यादा समय बीता, उनमें मेनिनजियोमा का खतरा अधिक था.
40 लाख लोगों पर रिसर्च
डेनमार्क कैंसर इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता उल्ला ह्विडटफेल्ड ने बताया कि अल्ट्रा फाइन कण इतने छोटे होते हैं कि वे ब्रेन में आसानी से घुस सकते हैं, टिश्यू को प्रभावित कर सकते हैं. यह स्टडी डेनमार्क में करीब 40 लाख वयस्कों पर किया गया, जिनकी औसत आयु 35 वर्ष थी और जिन्हें 21 साल तक ट्रैक किया गया. इस दौरान 16,596 लोगों में मस्तिष्क या सेंट्रल नर्वस सिस्टम का ट्यूमर पाया गया, जिनमें से 4,645 को मेनिनजियोमा था. शोध में ट्रैफिक से होने वाले अल्ट्रा फाइन कणों और मेनिनजियोमा के बीच संभावित संबंध सामने आया. हालांकि, ग्लियोमा जैसे गंभीर मस्तिष्क ट्यूमर और प्रदूषकों के बीच कोई मजबूत संबंध नहीं मिला.
एक्सपर्ट की राय 
ह्विडटफेल्ड ने कहा कि अध्ययन बताता है कि ट्रैफिक और अन्य सोर्स से लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से मेनिनजियोमा का खतरा बढ़ सकता है. यह प्रदूषण के मस्तिष्क पर प्रभाव को दर्शाता है, न कि केवल दिल और फेफड़ों पर. उन्होंने आगे बताया कि यदि स्वच्छ हवा से ब्रेन ट्यूमर का जोखिम कम हो सकता है, तो यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ा बदलाव ला सकता है. 
-एजेंसी-



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