अखिलेश यादव का ‘नया घर’ बीजेपी के लिए ‘नई टेंशन’ क्‍यों? मामला यूपी की130 सीटों पर हार-जीत से जुड़ा हुआ जो है…

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लखनऊ : वैसे तो यूपी के विधानसभा चुनाव में अभी लगभग 2 साल बाकी है लेकिन पूर्वांचल की राजनीति में एक बार फिर हलचल शुरू हो गई है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिस तरह पूर्वांचल प्लान की शुरुआत की है वह भाजपा के मजबूत गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में मोदी-योगी की नींद उड़ा सकता है. गौरतलब है कि पूर्वांचल 2014 के बाद से बीजेपी का मजबूत किला बना हुआ है और इस किले में सेंध लगाने के लिए सपा अपना पूरा जोर लगा रही है. आपको बता दें कि पूर्वांचल में कुल 130 विधान सभा सीट है. पूर्वांचल यानी यूपी का पूर्वी हिस्सा जिसमें बनारस, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, देवरिया, गाजीपुर, जौनपुर जैसे ज़िले आते हैं.

गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने आज़मगढ़ में एक नया ऑफिस और घर बनवाया है. जहां पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए ट्रेनिंग सेंटर भी होगा. लखनऊ, सैफई के साथ-साथ आज़मगढ़ को राजनीतिक धुरी बनाकर अखिलेश ने स्पष्ट संकेत दिया है कि पूर्वांचल पर उनका ज्यादा फोकस होगा. गौरतलब है कि अखिलेश यादव लखनऊ से अवध और प्रयाग , सैफई से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. ऐसे में पूर्वांचल पर फोकस कम हो रहा था. उसी कमी को पूरा करने के लिए सपा ने अपने पुराने गढ़ आजमगढ़ को चुना है. राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि इस कदम से पूर्वांचल की ज़मीनी राजनीति में सपा को नई ऊर्जा मिल सकती है.

आजमगढ़ से पूर्वांचल फतह की तैयारी
आपको बता दें कि आजमगढ़ सपा का मजबूत किला है जिसे भाजपा प्रचंड मोदी और योगी लहर में भेद नहीं पाई थी. गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जब यूपी में प्रचंड मोदी लहर के कारण बसपा का सफाया हो गया. कांग्रेस 2 और सपा 5 सीटों पर सिमट गई थी. उस लहर में भी सपा ने आजमगढ़ में बड़ी जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव इस सीट से सांसद बने हालांकि 2022 के लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव को हार का सामना करना पड़ा. वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने आजमगढ़ में 10 सीटों पर जीत के साथ क्लीन स्वीप किया था.

आजमगढ़ से मिली थी सपा को ‘संजीवनी’2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो योगी लहर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीजेपी ने अवध, बुंदेलखंड, पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल के 23 जिलों में क्लीन किया था. लेकिन वाराणसी से गाजीपुर की तरफ बढ़ते ही गोमती नदी क्रॉस करते ही बाजी पलट गई. गाजीपुर में सपा गठबंधन ने जिले की सातों विधानसभा सीटों पर कब्जा किया. जिसमें सपा को 5 और सुभसपा को 2 सीट मिली थी. वहीं मऊ में सपा गठबंधन ने 4 में से 3, बलिया में 7 में से 3 और आजमगढ़ के 10 में से 10, अंबेडकरनगर के 5 में से 5 सीटों पर कब्जा किया था.

आजमगढ़ से मोदी-योगी को साधने की कोशिशवहीं 2024 लोकसभा चुनाव की बात करें तो सपा ने आजमगढ़ समेत सभी पड़ोसी सीटों पर जीत हासिल की. जिसमें गाजीपुर, घोसी, बलिया, सलेमपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर, जौनपुर , सुल्तानपुर शामिल है. आजमगढ़ का पड़ोसी जिला प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गढ़ है तो दूसरे छोर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है. ऐसे में अखिलेश यादव आजमगढ़ को केन्द्र बिन्दु बनाकर पूर्वांचल को साधने की कवायद में जुटे हुए हैं.

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