गाजीपुर: गाजीपुर की गंगा अब सिर्फ नदी नहीं रही, अब वो शहर के लिए पर्यटन और रोजगार की उम्मीद बन चुकी है. जहां एक ओर घाटों का नवनिर्माण हो रहा है, वहीं दूसरी ओर गाजीपुर में अब एक ऐसी हाईटेक बोट आई है, जो लोगों को काफी पसंद आ रही है. इस बोट का नाम‘जलपरी’ है,
अब बनारस के घाट जैसा अनुभव गाजीपुर के नवापुर घाट से लेकर शहर के अन्य घाटों पर भी मिल रहा है. इस बदलाव की शुरुआत उपेन्द्र निषाद ने की है, जिन्होंने अपने जुनून से गाजीपुर की लहरों पर यह सपना साकार कर दिखाया.
नाविक की मेहनत ने किया सपना साकार
उपेन्द्र निषाद पहले इलेक्ट्रिक और मैकेनिकल का छोटा काम करते थे. लेकिन मन में सपना था कि गाजीपुर में एक ऐसी बोट लाई जाए, जो साइलेंट हो, सुरक्षित हो और परिवार के लिए बिल्कुल मुफीद हो. उन्होंने 4 लाख खर्च करके एक 6 सीटर मोटरबोट खरीदी और उसका नाम‘जलपरी’ रखा .
इस नाव की सबसे खास बात यह है कि इसमें एकदम साइलेंट मोटर है, जिससे पर्यटक बातचीत भी कर सकते हैं. फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी आराम से कर सकते हैं. यह बोट चलती भी इतनी स्मूद है कि तेज रफ्तार में भी किसी को झटका नहीं लगता.
क्या है ‘जलपरी’ की खासियत?
यात्रियों को पहले लाइफ जैकेट्स पहनाए जाते हैं.
मोटरबोट पूरी तरह साइलेंट और स्मूद चलती है.
परिवार और बच्चों के लिए 100% सुरक्षित है.
गंगा के बीचोंबीच तक सैर पर ले जाती है.
किराया सिर्फ 100 रुपए प्रति व्यक्ति
इस छोटी सी नाव ने बड़ा कमाल कर दिया है. पर्यटक अब कहते हैं कि ऐसी बोट तो हमने सिर्फ बनारस में देखी थी, लेकिन अब अपने ही शहर गाजीपुर में मिल रही है, तो मज़ा दुगना हो गया है.
अब गाजीपुर भी बनेगा ‘छोटा काशी’
सरकार की ओर से गाजीपुर के 50 घाटों का विकास किया जा रहा है. पक्की सीढ़ियां, विज़िटर रूम, शौचालय और बैठने की व्यवस्था की जा रही है, जिससे पर्यटक यहां रुक सकें, गंगा की सैर कर सकें और शहर की खूबसूरती को देख सकें. अब यहां भी वो सब मिल रहा है, जो लोग बनारस में ढूंढते थे.
गंगा से बदल रही गाजीपुर की तस्वीरआज गाजीपुर की गंगा सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं रही, अब वह पर्यटन और रोजगार का नया जरिया बन रही है. उपेन्द्र निषाद जैसे युवाओं की मेहनत ने दिखा दिया है कि अगर इरादा पक्का हो, तो कोई भी छोटा शहर बड़ी पहचान बना सकता है.