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Inspiring Story of Dr Shankare Gowda 5 Rupees Doctor Mandya Karnataka 40 Years Plus Service To Poor | गरीबों के वो डॉक्टर जो महज 5 रुपये में करते हैं चेकअप, पैसे नहीं, दुआ कमाते हैं शंकर गौड़ा



Dr Shankare Gowda 5 Rupees Doctor: आज के महंगे दौर में जब मेडिकल खर्च हद से ज्यादा बढ़ गया है, वहीं भारत में एक ऐसे डॉक्टर भी हैं जिन्होंने सेवा को अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा मकसद बना लिया है. हम बात कर रहे हैं डॉ. शंकर गौड़ा की, जिन्हें ‘पांच रुपये वाले डॉक्टर’ के नाम से जाना जाता है, इसकी कहानी दिलचस्प और इंस्पायरिंग दोनों है. हर किसी को उनकी कहानी जरूर जाननी चाहिए.
40 साल से ज्यादा सेवाकर्नाटक के मांड्या जिले के शिवल्ली के मूल निवासी डॉ. गौड़ा पिछले 40 साल से ज्याद वक्त से कंप्लीट मेडिकल चेकअप के लिए सिर्फ 5 रुपये लेते आ रहे हैं. इस सेवा को शुरू करने के बाद उन्होंने कभी किसी निजी अस्पताल या हाई सैलरी वाली नौकरी में शामिल होने का फैसला नहीं किया, बल्कि अपने होमटाउन के लोगों के लिए काम किया.
नॉलेज का बेहतर इस्तेमालजून 2022 को एक प्रेस कॉन्फ्रेस में उन्होंने कहा था, “मैं हमेशा अपने होमटाउन में प्रैक्टिस करना चाहता था जहां मेरी पैदाइश और पालन-पोषण हुआ है. मैं अपने नॉलेज को प्रिजर्व रखना और इसे अपने लोगों के लिए इस्तेमाल करना चाहता था.”
गरीबों की उम्मीद बने डॉ. शंकरअपनी मेडिकल प्रैक्टिस की शुरुआत में, वो हर दिन 100 मरीजों को देखते थे. बाद में ये तादाद बढ़कर 400 हो गई. उनके सोशल वर्क ने न सिर्फ आसपास के इलाकों से, बल्कि मैसूरु और बेंगलुरु से भी मरीजों को आकर्षित किया. डॉ. गौड़ा बताते हैं कि  कुछ लोग ऐसे भी हैं जो 5 रुपये भी नहीं दे सकते. इसलिए ऐसे लोगों को कई बार वो फ्री में चेकअप कर लेते हैं.

कहां से की पढ़ाई?डॉ. गौड़ा ने कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल से एमबीबीएस ग्रैजुएट होने के बाद, डॉ. गौड़ा ने बाद में वेनेरोलॉजी और डर्मेटोलॉजी में डिप्लोमा किया. उनका कहना है कि ग्रामीण इलाकों में, लोग बहुत सारी त्वचा जे जुड़ी बीमारियों से पीड़ित होते हैं, और भारत में डर्मेटोलॉजी बहुत महंगा है. यही वजह है कि वो 5 रुपये से ज्यादा नहीं लेते जब वो गांव जाते हैं, तो मुफ्त सलाह देते हैं. डॉ. गौड़ा एक किसान भी हैं, जिन्होंने परिवार के खर्चों को पूरा करने के लिए कम उम्र में ही अपने पिता की जमीन पर खेती की. उन्होंने मेडिकल प्रैक्टिस और खेती दोनों में हाथ आजमाया.
पैसे नहीं, दुआएं कमाते हैंसाल 2010 में, वो शिवल्ली में पंचायत चुनाव के लिए खड़े हुए. उनके बड़े फॉलोअर बेस ने उन्हें जीतने में मदद की. उन्होंने लोगों के लिए काम किया और साथ ही मेडिकल प्रैक्टिस भी जारी रखी. जब 2022 में उन्हें हार्ट अटैक आया तो सैकड़ों लोग अस्पताल के बाहर जमा हो गए और उनकी अच्छी सेहत की दुआएं करने लगे. जब वो पूरी तरह ठीक हो गए, तो उन्होंने 5 रुपये में सेवा करने का काम फिर से शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी जिंदगी में भले ही पैसे थोड़े कम कमाए होंगे, लेकिन एक बात तो साफ है कि कई दशकों से उन्हें गरीबों की दुआएं मिल रही हैं.



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