यूपी के इस छोटे से जिले में क्यों है 5 रेलवे स्टेशन? ‘डायमंड क्रॉस’ से चारों दिशाओं के लिए निकलती हैं ट्रेनें, रोचक है वजह – why Hathras has five railway stations spread across city due to historical development different purposes Railway Knowledge Indian Railways Interesting facts

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हाथरस. उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा जिला है हाथरस. हाथरस देश का अनूठा जिला है. इस जिले में पांच रेलवे स्टेशन हैं. हाथरस जंक्शन, हाथरस रोड, हाथरस किला, हाथरस सिटी और न्यू हाथरस. एक छोटे से जिले में पांच रेलवे स्टेशन की बात चौंकाती जरूर है. आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी कि रेलवे को पांच रेलवे स्टेशन बनाने पड़े. हाथरस कोई इतना बड़ा शहर भी नहीं है. हाथरस में पांच अलग-अलग रेलवे स्टेशन होने की पीछे की वजह क्या है?सबसे पहले बात करते हैं हाथरस जंक्शन की. यह मेन रेलवे स्टेशन है और हावड़ा-दिल्ली रूट के दिल्ली-कानपुर खंड पर स्थित है. हाथरस जंक्शन से कई दिशाओं से लाइनें आकर मिलती हैं. दिल्ली, गाजियाबाद, टूंडला, आगरा कैंट, इटावा और कानपुर के लिए ट्रेनें जाती हैं. हाथरस जंक्शन के करीब 65 हजार यात्री रोजाना यात्रा करते हैं. यहां करीब 55 ट्रेनें रुकती हैं. हाथरस से दो ट्रेनें बनकर चलती हैं. दो ट्रेनें टर्मिनेट भी होती हैं. महानंदा एक्सप्रेस, लालकिला एक्सप्रेस, संगम एक्सप्रेस, आनंद विहार कोलकाता एक्सप्रेस, टाटा जम्मूतवी एक्सप्रेस, गोमती एक्सप्रेस और कालका मेल प्रमुख रूप से शामिल हैं.

हाथरस रोड एक हॉल्ट स्टेशन है जो कि कासगंज वाली लाइन पर पड़ता है. हाथरस रोड की तो इस रेलवे स्टेशन की कुछ अनोखी विशेषता है. यह रेलवे स्टेशन मथुरा-कासगंज मीटर गेज लाइन में बना हुआ था. बाद में इसे ब्रॉडगेज में तब्दील कर दिया गया. हाथरस जंक्शन में बगल में होते हुए भी यह रेलवे स्टेशन अपनी अलग पहचान रखता था, इसलिए आज भी यह हाथरस रोड के नाम से जाना जाता है. यह स्टेशन इस बात का संकेत देता है कि यह रेलवे लाइन आपको हाथरस जंक्शन से जोड़ेगा. यह रेलवे स्टेशन ओवरहेड स्टेशन के रूप में काम करता है.

18वीं शाताब्दी में अंग्रेजों ने यह स्टेशन बनवाया था. 47 किलोमीटर लंबी हाथरस रोड मथुरा रेल लाइन 1875 में खोली गई थी. मथुरा-कासगंज रूट पर ही बरेली के लिए ट्रेनें चलती हैं. मथुरा-कासगंज रेल ट्रैक 105 किलोमीटर लंबा है. इस ट्रैक का दोहरीकरण किया जा रहा है.

हाथरस सिटी जंक्शन से 9 किलोमीटर दूर है. पहले यह मीटर गेज लाइन थी. फिर इसे ब्रॉडगेज में बदला गया. यह स्टेशन शहर की आबादी वाले इलाके में है.

हाथरस किला रेलवे स्टेशन केवल मालगाड़ियों के लिए उपयोग किया जाता है. हाथरस सिटी के आसपास सबसे ज्यादा आबादी है. यह भी कासगंज वाली लाइन पर पड़ता है. 17-18वीं शाताब्दी में जाट शासकों की ओर से हाथरस जंक्शन से एक लाइन हाथरस किला के लिए निकाली गई. यह लाइन हाथरस किले को जोड़ती है. इस ट्रैक का निर्माण किले के निर्माण के दौरान माल ढुलाई के लिए किया गया था. यह आखिरी रेलवे स्टेशन है, इस लाइन को आगे किसी और ट्रैक से नहीं जोड़ा गया है.

न्यू हाथरस रेलवे सटेशन का निर्माण डैडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के तहत किया गया है. वैसे यह भारतीय रेलवे का हिस्सा नहीं है. न्यू हाथरस डीएफसी में स्थित है. यहां कोई भी सवारी गाड़ी नहीं चलती है.

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