क्या आपको रोज पॉटी नहीं आती? अगर हां, तो घबराने की जरूरत नहीं… लेकिन सतर्क रहने की जरूरत जरूर है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि हर किसी की पाचन क्रिया और बाउल हैबिट्स अलग-अलग होती हैं. कोई दिन में दो बार टॉयलेट जाता है तो कोई दो या तीन दिन में एक बार. लेकिन जब यह आदत बदलने लगे या परेशानी देने लगे, तो यह सेहत के लिए रेड सिग्नल हो सकता है.
गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट्स के मुताबिक, दिन में तीन बार से लेकर हफ्ते में तीन बार तक पॉटी जाना नॉर्मल माना जाता है, बशर्ते मल त्याग आसान और बिना दर्द के हो. लेकिन अगर आपको रोजाना पॉटी नहीं आ रही, साथ ही पेट भारी लग रहा है, गैस या सूजन हो रही है, तो यह कब्ज या किसी बड़ी समस्या का संकेत हो सकता है.
रोज पॉटी न आने के पीछे का क्या कारण* कम फाइबर वाली डाइट- फल, सब्जियां और साबुत अनाज कम खाने से आंतों को सफाई में मुश्किल होती है.* पानी की कमी- शरीर में पानी की कमी से मल सख्त हो जाता है और बाहर निकलने में तकलीफ होती है.* शारीरिक व्यायाम की कमी- बैठे रहने की आदत आंतों की गति को धीमा कर देती है.* स्ट्रेस और मानसिक तनाव- तनाव सीधे तौर पर पाचन तंत्र को प्रभावित करता है.* कुछ दवाओं का असर- आयरन सप्लिमेंट्स, दर्द निवारक दवाएं और एंटी-डिप्रेसेंट्स भी कब्ज का कारण बन सकती हैं.
कब डॉक्टर को दिखाएं?* अगर एक हफ्ते से ज्यादा समय से शौच नहीं हुआ है* मल त्याग में दर्द या खून दिखे* पेट में लगातार सूजन या ऐंठन हो* अचानक वजन कम हो रहा हो* मल का रंग काला या टेरी जैसा हो
क्या करें?* डाइट में फाइबर और पानी की मात्रा बढ़ाएं* नियमित व्यायाम करें* शरीर के संकेतों को अनदेखा न करें* सुबह एक तय समय पर टॉयलेट जाने की आदत बनाएं* फिर भी समस्या बनी रहे तो डॉक्टर से जांच जरूर कराएं
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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