हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) दुनियाभर में मनाया जाता है. योग केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में स्वास्थ्य और मानसिक शांति का प्रतीक बन चुका है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि योग दिवस इसी तारीख को ही क्यों मनाया जाता है? और योग से जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प बातें हैं, जिन्हें आज भी ज्यादातर लोग नहीं जानते.
21 जून को ही क्यों चुना गया योग दिवस?प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में प्रस्ताव रखा था कि योग को दुनियाभर पहचान दी जाए और इसके लिए एक विशेष दिन तय किया जाए. उनका प्रस्ताव 177 देशों के सपोर्ट के साथ पारित हुआ और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया. यही नहीं, 21 जून को चुनने के पीछे एक खास वैज्ञानिक और सांस्कृतिक कारण है यह भी है कि 21 जून साल का सबसे लंबा दिन (Summer Solstice) होता है और भारतीय संस्कृति में इसे आध्यात्मिक परिवर्तन की शुरुआत माना जाता है. यह समय उत्तरायण का भी प्रतीक है, जिसे योग के अभ्यास के लिए अत्यंत शुभ माना गया है.
योग से जुड़ी 5 दिलचस्प बातें
1. योग की शुरुआत कब हुई?योग कोई नया ट्रेंड नहीं है, इसकी जड़ें हजारों साल पुरानी हैं. भारत में योग की शुरुआत 5000 साल पहले हुई थी. सबसे पुराना प्रमाण ऋग्वेद और इंडस वैली सभ्यता की मूर्तियों में मिलता है, जिनमें ध्यान मुद्रा में बैठे व्यक्ति की आकृति है.
2. पतंजलि और योगसूत्रयोग को एक व्यवस्थित दर्शन के रूप में स्थापित करने का श्रेय महर्षि पतंजलि को जाता है. उन्होंने ‘योगसूत्र’ की रचना की, जिसमें अष्टांग योग (8 अंगों वाला योग) का विस्तार से वर्णन है. आज भी ये सूत्र योगाभ्यास की मूलभूत आधारशिला माने जाते हैं.
3. योग का मतलब केवल आसन नहींअधिकतर लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम या आसनों तक सीमित समझते हैं, जबकि योग एक जीवनशैली और दर्शन है. इसमें शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक संतुलन पर भी ज़ोर दिया जाता है.
4. विज्ञान भी है सहमतआधुनिक विज्ञान ने योग के फायदों को स्वीकार किया है। अध्ययन बताते हैं कि यह तनाव कम करता है, मेंटल हेल्थ को बेहतर करता है और शारीरिक लचीलापन बढ़ाता है. 2025 में हुए एक शोध के मुताबिक, योग डीएनए की मरम्मत में भी मदद कर सकता है.
5. UN में सबसे तेजी से पारित हुआ प्रस्तावयोग दिवस को लेकर प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में इतिहास में सबसे तेजी से पारित होने वाले प्रस्तावों में से एक था. इसे सिर्फ 3 महीने में स्वीकृति मिली और 193 में से 177 देशों ने इसका सपोर्ट किया- जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है.