BCCI: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की नींद कोच्चि टस्कर्स केस में उड़ चुकी है. बोर्ड को बॉम्बे हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है. हाईकोर्ट ने बीसीसीआई की याचिका को खारिज कर कोच्चि टस्कर्स के मालिकों के पक्ष में अंतिम फैसला सुनाया है. अब बीसीसीआई को कोच्चि टस्कर्स को 538 रुपये देने होंगे. साल 2011 में बीसीसीआई ने इसी टीम को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. अब कोर्ट ने 538 करोड़ रुपये के ऑर्बिटल अवॉर्ड को सही करार दिया.
कोच्चि टस्कर्स ने किया था केस
कोच्चि टस्कर्स ने बीसीसीआई के खिलाफ केस किया था. सिर्फ एक ही सीजन में यह फ्रेंचाइजी नजर आई थी और 8वें नंबर पर दिखी. कोर्ट ने बीसीसीआई को अब बंद हो चुकी आईपीएल फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स केरल को 538 करोड़ रुपये चुकाने का निर्देश दिया है. बीसीसीआई ने सिर्फ एक सीजन (2011) के बाद ही फ्रेंचाइजी के कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर दिया था. जिसमें टीम पर अनुबंध के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. क्योंकि उसने समय पर बैंक गारंटी जमा नहीं की थी, जो कि समझौते के तहत जरूरी थी.
क्या है कोर्ट का आदेश?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, ‘मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के तहत इस न्यायालय का अधिकार क्षेत्र बहुत सीमित है. विवाद के गुण-दोषों की जांच करने का बीसीसीआई का प्रयास अधिनियम की धारा 34 में निहित आधारों के दायरे के विपरीत है. साक्ष्य या गुण-दोषों के संबंध में दिए गए निष्कर्षों के बारे में बीसीसीआई का असंतोष पुरस्कार को टारगेट करने का आधार नहीं हो सकता.’
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क्या है हिसाब?
2015 में, बीसीसीआई को आईपीएल फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया था. 384 करोड़ केसीपीएल को और 153 करोड़ रेंडेन्जवस स्पोर्ट को. आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला ने गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद पीटीआई को बताया, ‘हमें मध्यस्थ लाहोटी की रिपोर्ट मिल गई है. अधिकांश सदस्य मध्यस्थ की रिपोर्ट के खिलाफ अपील करने की राय रखते हैं. हम कानूनी राय ले रहे हैं.’
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