Last Updated:June 17, 2025, 23:41 ISTChitrakoot news in hindi : ग्रामीण बताते हैं कि कभी रात तीन बजे उठकर पानी भरने जाना पड़ता है, तो कभी सुबह चार बजे. नहीं तो लाइन इतनी लंबी लग जाती है कि पूरी सुबह लाइन में ही निकल जाती है. चित्रकूट. गर्मी के दस्तक के साथ बुंदेलखंड के गांवों में जलसंकट गहराने लगा है. हर साल की तरह इस बार भी चित्रकूट जिले के मानिकपुर तहसील के गांव पानी की त्रासदी झेलने को मजबूर हैं. लोकल 18 की टीम जब चित्रकूट के मारकुंडी स्थित किहुंनिया गांव पहुंची तो हालात गंभीर मिले. वहां लोग पानी भरने के लिए हैंडपंप में लाइन लगाने को मजबूर हैं. यहां के ग्रामीणों को रोजाना पानी के लिए घंटों मशक्कत करनी पड़ती है. गांव के रहने वाले अवधेश मिश्र बताते हैं कि कभी रात तीन बजे उठकर पानी भरने जाना पड़ता है, तो कभी सुबह चार बजे. नहीं तो लाइन इतनी लंबी लग जाती है कि पूरी सुबह निकल जाती है. ऐसा नजारा दिल्ली-मुंबई समेत महानगरों में ही देखने को ही मिलता है. इसी गांव की रहने वाली इंद्राणी देवी कहती हैं कि हर घर नल योजना के तहत घर-घर में नल तो लगा दिया गया, लेकिन उसमें पानी आता ही नहीं. कभी-कभी तो पूरे महीने में एक या दो बार पानी आता है.पानी आए या न आए, रिपोर्ट में सब ठीक
हर घर नल योजना को लेकर ग्रामीणों में काफी नाराजगी है. उनका कहना है कि जब सरकार ने हर घर नल योजना शुरू की थी तो टैंकर से सप्लाई भी बंद कर दी गई, लेकिन जब नल में पानी ही नहीं आ रहा तो प्यास कैसे बुझाएं. पानी की सबसे बड़ी मार गांव की महिलाओं पर पड़ रही है. साधना देवी और कांति देवी बताती हैं कि रोज सुबह सबसे पहला काम होता है हैंडपंप पर लाइन लगाना. कई बार दिन में दो-तीन बार चक्कर लगाना पड़ता है क्योंकि कुछ हैंडपंपों में पानी कम आ रहा है, तो कुछ पूरी तरह से सूख चुके हैं. अधिकारी कभी-कभार दौरा करते हैं, लेकिन सिर्फ फोटो खिंचवा कर चले जाते हैं. होता कुछ नहीं.
बुंदेलखंड में जल संकट कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर साल गर्मी के साथ यह समस्या विकराल रूप लेती जा रही है. भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, पुराने हैंडपंप सूख चुके हैं और नई योजनाएं सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई हैं.Location :Chitrakoot,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshउठते ही बाल्टी-लोटा लेकर दौड़ पड़ते हैं ग्रामीण, यहां हर ओर ‘दिल्ली वाला भूत’