एक वक्त था जब भारत को युवा देश कहा जाता था और दुनिया भर में उसकी जनसंख्या वृद्धि चिंता का विषय थी, लेकिन अब तस्वीर धीरे-धीरे बदल रही है. भारत की जनसंख्या आज भले ही 1.46 अरब (2025 अनुमान) के आंकड़े को छू रही हो, लेकिन देश की प्रजनन दर यानी फर्टिलिटी रेट साल दर साल गिरती जा रही है. यह बदलाव भारत के भविष्य की सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है.
1950 में भारत की औसत रूप से एक महिला 5.91 बच्चों को जन्म देती थी. यह संख्या 2000 तक घटकर 3.35 हो गई और अब 2024-25 में यह 2.11 पर पहुंच चुकी है. यह एक ऐसा लेवल है जिसे विशेषज्ञ “जनसंख्या स्थिरीकरण बिंदु” मानते हैं. यानी अब भारत की आबादी तेजी से नहीं बढ़ेगी और कुछ दशकों बाद गिरावट की ओर मुड़ जाएगी.
40 साल बाद घटेगी आबादी!संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की हालिया रिपोर्ट कहती है कि भारत की जनसंख्या अभी और बढ़ते हुए लगभग 1.7 अरब तक पहुंचेगी, लेकिन 40 साल बाद यह गिरावट की ओर जाएगी. भारत ने भले ही जनसंख्या विस्फोट की चिंता को कम किया हो, पर अब एक नई चुनौती सामने खड़ी हो रही है. वो है बूढ़ी होती आबादी.
बढ़ती मीडियन एज: अब युवा नहीं रहेगा भारत?वर्तमान में भारत की मीडियन उम्र 28.8 साल है, यानी आधी आबादी इससे छोटी है और आधी बड़ी. ये आंकड़ा फिलहाल अमेरिका (38.9), यूरोप (42.2), और चीन (39) से कहीं कम है. लेकिन यह भी तेजी से बढ़ रहा है. 2050 तक भारत की मीडियन उम्र 38 साल हो जाएगी. इसका मतलब है कि तब भारत में बुजुर्गों की संख्या अधिक और काम करने वाले युवाओं की संख्या कम हो सकती है.
उम्र बढ़ने के क्या होंगे असर?* आर्थिक बोझ बढ़ेगा: वृद्ध लोगों की संख्या बढ़ने से पेंशन, स्वास्थ्य सुविधाएं और देखभाल पर खर्च कई गुना बढ़ जाएगा.* वर्कफोर्स घटेगी: काम करने वाले लोगों की संख्या कम होने से आर्थिक उत्पादकता पर असर पड़ेगा.* स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ेगी: बुजुर्गों को विशेष देखभाल, इलाज और इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होगी.* सामाजिक बदलाव: संयुक्त परिवारों की जगह एकल या वृद्धाश्रम जैसी व्यवस्थाएं बढ़ेंगी.
क्या है समाधान?विशेषज्ञों के अनुसार भारत को अभी से बुजुर्ग होते समाज के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. इसमें कुछ प्रमुख कदम हो सकते हैं:* बुजुर्गों के लिए समर्पित हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और बीमा योजनाएं* पेंशन सुधार और सामाजिक सुरक्षा* युवाओं को स्किल डेवलपमेंट से जोड़ना ताकि वर्कफोर्स लंबे समय तक एक्टिव रहे* महिलाओं की काम भागीदारी बढ़ाना
भारत ने जनसंख्या विस्फोट को रोकने की दिशा में सफलता हासिल की है, लेकिन अब चुनौती यह है कि वह “युवा देश से उम्रदराज देश” बनने की प्रक्रिया को कैसे संतुलित करे. फर्टिलिटी रेट की गिरावट भले ही एक उपलब्धि लगे, लेकिन इसके लंबे समय तक के प्रभावों के लिए रणनीति और दूरदर्शिता की सख्त जरूरत है. वरना भविष्य में भारत का डेमोग्राफिक डिविडेंड एक बोझ बन सकता है.