Cricketer Died: क्रिकेट जगत के लिए बुधवार का दिन अच्छा नहीं रहा. बेंगलुरु में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के विक्ट्री सेलिब्रेशन के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ मचने से 11 क्रिकेट प्रशंसकों की मौत हो गई. उसी दिन वहां से करीब 2 हजार किलोमीटर दूर मथुरा जंक्शन से पहले ट्रेन में एक क्रिकेटर की जान चली गई. लुधियाना से ग्वालियर जा रहे एक दिव्यांग क्रिकेटर की ट्रेन में मौत की खबर सामने आई है.
लुधियाना से ग्वालियर जाने में मौत
छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे 38 वर्षीय दिव्यांग व्हीलचेयर क्रिकेटर विक्रम सिंह की मथुरा जंक्शन पहुंचने से पहले ही मौत हो गई. वह एक व्हीलचेयर क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए लुधियाना से ग्वालियर जा रहे थे. विक्रम ट्रेन के दिव्यांग कोच (दिव्यांगों के लिए आरक्षित) में यात्रा कर रहे थे और कथित तौर पर अपनी मौत से पहले रेलवे हेल्पलाइन के माध्यम से सिरदर्द और बेचैनी की शिकायत की थी.
शिकायत दर्ज कराई, नहीं मिली सहायता
विक्रम के साथ यात्रा कर रहे अन्य खिलाड़ियों ने आरोप लगाया कि बुधवार सुबह 139 हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराने के साढ़े तीन घंटे बाद भी रेलवे अधिकारियों द्वारा कोई सहायता नहीं की गई. मथुरा में जब एक डॉक्टर की व्यवस्था की गई थी. तब तक उनकी जान चली गई थी. ट्रेन के स्टेशन पहुंचने तक खिलाड़ी की पहले ही मौत हो चुकी थी.
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ग्वालियर में खेलने वाले थे मैच
पंजाब व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के सभी पांच खिलाड़ी मंगलवार की देर रात लुधियाना से छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में सवार हुए थे. वे गुरुवार को लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन में होने वाले टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए ग्वालियर जा रहे थे. बुधवार की सुबह जब ट्रेन दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गुजरी तो विक्रम सिंह को सिरदर्द और बेचैनी की शिकायत होने लगी. उनके साथी खिलाड़ियों ने तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए 139 हेल्पलाइन पर फोन किया. हालांकि, रास्ते में बार-बार लाल सिग्नल पर रुकने के कारण ट्रेन को मथुरा जंक्शन पहुंचने में साढ़े तीन घंटे से अधिक का समय लगा.
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रेलवे ने दी ये जानकारी
रेलवे अधिकारियों ने स्वीकार किया कि रेल मदद पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई थी और मथुरा जंक्शन पर डॉक्टर को बुलाया गया था, लेकिन यात्री की स्टेशन पहुंचने से पहले ही विक्रम की मौत हो चुकी थी. उत्तर मध्य रेलवे के आगरा डिवीजन की जनसंपर्क अधिकारी प्रशस्ति श्रीवास्तव ने कहा, ”रेल मदद पोर्टल पर एक शिकायत दर्ज की गई थी, जो चौबीसों घंटे काम करता है. यात्री को फोन किया गया और आवश्यक जानकारी हासिल किए गए. यह सूचित किया गया कि यात्री को सिरदर्द और बेचैनी का अनुभव हो रहा था.”
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