आज के समय में लिवर से जुड़ी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. खासकर शराब का सेवन, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, हेपेटाइटिस संक्रमण और मोटापा लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं. लिवर की दो प्रमुख बीमारियां हैं- लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर, जिसमें लोग अक्सर भ्रमित हो जाते हैं. दोनों ही खतरनाक हैं, लेकिन इनके कारण, लक्षण और इलाज एक जैसे नहीं होते. आइए जानते हैं कि लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर में क्या अंतर है:
1. लिवर सिरोसिस एक धीमी प्रक्रिया में होने वाली बीमारी है, जिसमें लिवर की सेल्स धीरे-धीरे डैमेज होती हैं और फाइब्रोसिस (घाव) बनने लगता है. यह लिवर के काम को प्रभावित करता है. वहीं लिवर कैंसर में लिवर की लेस्ल असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और एक घातक ट्यूमर बनता है. यह कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है.
2. लिवर सिरोसिस का मुख्य कारण लंबे समय तक शराब का सेवन, हेपेटाइटिस बी और सी, फैटी लिवर या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर हो सकते हैं. लिवर कैंसर अक्सर सिरोसिस के बैकग्राउंड में ही विकसित होता है, लेकिन यह हेपेटाइटिस, सिरोसिस या जेनेटिक म्यूटेशन के कारण भी हो सकता है.
3. दोनों बीमारियों के लक्षणों में कुछ समानताएं होती हैं, जैसे थकान, वजन कम होना, पीलिया आदि. लेकिन लिवर कैंसर में आमतौर पर तेज पेट दर्द, पेट में गांठ और तेजी से बिगड़ती सेहत जैसे लक्षण देखे जाते हैं. लिवर सिरोसिस में पेट में पानी भरना (Ascites), मसल्स में कमजोरी, उलझन और ब्लीडिंग जैसे लक्षण ज्यादा आम हैं.
4. सिरोसिस का पता ब्लड टेस्ट, लिवर फाइब्रोस्कैन और बायोप्सी से होता है, जबकि लिवर कैंसर की पहचान के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्फा-फीटोप्रोटीन (AFP) टेस्ट और बायोप्सी की जरूरत होती है.
5. लिवर सिरोसिस का इलाज कारण पर निर्भर करता है और इसमें डायट कंट्रोल, दवाएं और लिवर ट्रांसप्लांट तक की जरूरत पड़ सकती है, जबकि लिवर कैंसर के इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन या ट्रांसप्लांट शामिल हो सकते हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.