Health

Stroke cases increase among young people due to this shocking truth doctors are ignoring these symptoms | युवाओं में स्ट्रोक के बढ़ते मामलों के पीछे ये चौंकाने वाला सच, इन लक्षणों को डॉक्टर भी कर रहे नजरअंदाज



हाल के वर्षों में युवाओं में स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके पीछे का सच चौंकाने वाला है. ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, 55 साल से कम उम्र के लोगों में स्ट्रोक के मामले दोगुने हो गए हैं, जबकि बुजुर्गों में यह संख्या घटी है. ब्रिटेन में हर साल लगभग 20 हजार युवा स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं और भारत में भी स्थिति चिंताजनक है. लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि स्ट्रोक के कई लक्षणों को डॉक्टर भी नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे इलाज में देरी हो रही है.
डेली मेल की एक खबर के अनुसार, 34 साल की लॉरा एकर्स की कहानी इसका जीता-जागता उदाहरण है. लॉरा, जो एक स्कूल टीचर और मां हैं, को पिछले साल मार्च में सिरदर्द, गले में खराश और खांसी हुई. उन्होंने इसे नॉर्मल सर्दी समझा, लेकिन एक दिन अचानक चक्कर आने और उल्टी होने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया. जांच में पता चला कि उनकी गर्दन की धमनी में एक टियर के कारण इस्केमिक स्ट्रोक हुआ था, जिसने दिमाग के सेरेबेलम तक खून की सप्लाई रोक दी. डॉक्टरों ने बताया कि अगर उनकी उम्र ज्यादा होती, तो शायद वह बच नहीं पातीं.
एक्सपर्ट का क्या कहना?स्ट्रोक एसोसिएशन की प्रोफेसर डेबी लोव बताती हैं कि 20% स्ट्रोक दिमाग के पिछले हिस्से को प्रभावित करते हैं, जहां लक्षण असामान्य होते हैं. इनमें अचानक चक्कर आना, बोलने में दिक्कत और आंखों में बदलाव शामिल हैं. ये लक्षण FAST टेस्ट (फेस, आर्म्स, स्पीच और टाइम) में अक्सर पकड़ में नहीं आते. इसके अलावा, अचानक मेमोरी लॉस, बैलेंस बिगड़ना, उल्टी, दौरे, व्यवहार में बदलाव और तेज सिरदर्द भी स्ट्रोक के संकेत हो सकते हैं.
स्ट्रोक के पीछे क्या कारणविशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं में स्ट्रोक का खतरा बढ़ने के पीछे तनाव, लंबे काम के घंटे, खराब खानपान और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं प्रमुख कारण हैं. लॉरा को बाद में ल्यूपस डायग्नोस किया गया, जो शायद उनकी नसों को कमजोर करने का कारण रहा. रॉयल डेवोन एंड एक्सेटर हॉस्पिटल के प्रोफेसर मार्टिन जेम्स के अनुसार, ऐसी नसों में टियर कभी-कभी बिना किसी चेतावनी के भी हो सकती है. युवाओं को सलाह है कि इन असामान्य लक्षणों को नजरअंदाज न करें. स्ट्रोक के पहले चार घंटों में इलाज शुरू करना जरूरी है, वरना खतरा बढ़ जाता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
 



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