Last Updated:June 03, 2025, 12:10 ISTPilibhit News In Hindi : पीलीभीत के जंगलों में उगने वाली इस प्रतिबंधित सब्जी का स्वाद मटन से भी बेहतर माना जाता है. मानसून में उगने वाली इस सब्जी की कीमत 1500 रुपये प्रति किलो तक होती है. प्रतिबंधित होने के बाव…और पढ़ेंX
बाजार में महंगे दामों पर बिकती है सब्जी. फाइल फोटोहाइलाइट्सपीलीभीत के जंगलों में कटरुआ नाम की सब्जी मिलती है.कटरुआ की कीमत सीजन की शुरुआत में 1500 रुपये प्रति किलो होती है.कटरुआ का स्वाद मटन से भी बेहतर माना जाता है.पीलीभीत. उत्तर प्रदेश का पीलीभीत जिला अपने घने जंगलों और बाघों के लिए मशहूर है, लेकिन यहां की एक खास सब्जी भी है, जिसका स्वाद चखने के लिए लोग मानसून का इंतजार करते हैं. इस सब्जी के दीवाने मानते हैं कि इसका स्वाद मटन से भी बेहतर है. भारत को विविधता का देश कहा जाता है और इसका असर यहां के खानपान में भी दिखता है. हर इलाके की अपनी खास डिश होती है.
अगर तराई के जिले पीलीभीत की बात करें तो यहां कटरुआ नाम की जंगली सब्जी का स्वाद चखने के लिए लोग बेताब रहते हैं. कई लोग, जो रोजगार के लिए पीलीभीत छोड़कर दूसरे शहरों में बस गए हैं, वे भी हजारों रुपये खर्च कर इस सब्जी को मंगवाते हैं. मानसून की पहली बारिश के साथ ही यूपी के पीलीभीत और लखीमपुर के तराई जंगलों में कटरुआ नाम की सब्जी उगने लगती है. इसकी शुरुआती कीमत काफी ज्यादा होती है. कटरुआ के शौकीन इस सब्जी के लिए पूरे साल बारिश का इंतजार करते हैं. कटरुआ की सब्जी को शाकाहारियों का नॉन वेज भी कहा जाता है और यह प्रोटीन से भरपूर होती है. यही कारण है कि हर साल कटरुआ की कीमत बढ़ती जाती है, फिर भी लोग इसे शौक से खरीदते हैं.
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प्रतिबंधित है कटरुआआमतौर पर कटरुआ पीलीभीत और लखीमपुर के जंगलों में पाया जाता है. यह तराई जंगलों में साल के पेड़ों की जड़ों में उगता है. इसे बीनने के लिए लोग जंगल जाते हैं और जमीन खोदकर कटरुआ निकालते हैं. इसके बाद व्यापारी इसे खरीदकर पीलीभीत, लखीमपुर और बरेली की मंडियों में बेचते हैं. हालांकि यह वन उपज है और इस पर प्रतिबंध भी है, लेकिन विभागीय सांठ-गांठ से इसे जंगल से निकाला जाता है. हैरानी की बात यह है कि यह खुलेआम बिकता है. सीजन की शुरुआत में कटरुआ की कीमत लगभग 1500 रुपये प्रति किलो होती है. जंगल के जानकारों के अनुसार, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में पाई जाने वाली हिरण की प्रजातियों को भी कटरुआ बहुत पसंद है. मानसून के सीजन में हिरणों को कटरुआ खोदकर खाते हुए देखा जाता है.
दूरदराज तक है कटरुआ की डिमांडपीलीभीत, लखीमपुर और बरेली में कटरुआ मंडी लगाकर बिकता है. पीलीभीत रोजगार के क्षेत्र में पिछड़ा माना जाता है, इसलिए यहां के लोग कामकाज के सिलसिले में दूरदराज के इलाकों में जाकर बसे हैं. लेकिन वे लोग आज भी कटरुआ का स्वाद नहीं भूल पाए हैं. इस वजह से लोग मानसून के सीजन में अपने-अपने साधनों से कटरुआ मंगवाते हैं. वहीं, जिन्होंने एक बार इस सब्जी का स्वाद चखा है, वे इसके स्वाद को लेकर लालायित रहते हैं.
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