Last Updated:May 27, 2025, 12:59 ISTNoida News : ग्रेटर नोएडा के यथार्थ हॉस्पिटल में 16 लोग लिफ्ट में 30 मिनट तक फंसे रहे. पीड़ितों का आरोप है कि चिल्लाने पर भी कोई मदद नहीं मिली. इस दौरान बुजुर्गों की हालत बिगड़ गई. लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर …और पढ़ेंX
यूपी के इस अस्पताल में आधे घंटे तक लिफ्ट में अटकी रही 16 जिंदगियां VIDEO: लोग चिहाइलाइट्सलिफ्ट में 30 मिनट तक फंसे रहे 16 लोग.अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का आरोप.लिफ्ट में फंसे लोगों का वीडियो वायरल.ग्रेटर नोएडा : उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले के ग्रेटर नोएडा के एक अस्पताल से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. गौरतलब है कि यथार्थ हॉस्पिटल में देर रात दूसरे फ्लोर पर लिफ्ट में 16 लोग फंस गए.पीड़ितों का आरोप है कि 30 मिनट तक हम चिल्लाते रहे लेकिन कोई भी बचाने नहीं आया.सुरक्षाकर्मियों को आवाज दी गई, लेकिन कोई भी सुनने वाला नजर नहीं आया।
लिफ्ट में फंसे लोगों को कोई मदद नहीं मिली, जिससे कई लोग पैनिक हो गए.बुजुर्गों की सांस फूलने लगी और कुछ लोग बीमार हो गए.लिफ्ट में कुछ मरीज भी थे जो हॉस्पिटल में दिखाने आए थे, उनकी हालत बिगड़ने लगी. इस पूरी घटना को लिफ्ट में खड़े कुछ लोगों ने मोबाइल फोन में कैद कर लिया, जिसमें देखा जा सकता है कि बीमार बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष सब परेशान नजर आ रहे हैं.
30 मिनट तक अटकी रहीं सांसेवीडियो में एक युवक दिख रहा है जो पीली टीशर्ट पहने हुए नजर आता है. वह कह रहा है, “यह वीडियो यथार्थ हॉस्पिटल का है. यहां लिफ्ट फंस गई है. हम लोग 30 मिनट से परेशान हैं. इमरजेंसी नंबर पर कॉल कर रहे हैं लेकिन कोई भी नहीं सुन रहा है.हम लोग किसी दिक्कत में हैं, क्या ही बताएं. हमारे साथ कई मरीज हैं, लेकिन अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. “
अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही का कौन देगा जवाबवीडियो में दिख रहे युवक ने बताया कि हमारे साथ कुल 16 लोग हैं. अस्पताल को सिर्फ अपने पैसों से मतलब है. अगर यहां कुछ हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा? यह पूरी तरह अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही है”. हालांकि कुछ देर बाद अस्पताल प्रबंधन के लोग मौके पर पहुंचे और दो फ्लोर के बीच में फंसी हुई लिफ्ट को चाबी से खोला गया. उसके बाद लोगों को रेस्क्यू कर कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया.
क्या हैं लिफ्ट के रखरखाव के नियम?
लिफ्ट या एक्सलेटर लगवाने के लिए स्वामी को संबंधित प्राधिकरण, नगर निगम से रजिस्ट्रेशन करना होगा.निजी परिसर और सार्वजनिक परिसर के लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन होगा.
लिफ्ट या एक्सलेटर कमीशन रीडिंग पूर्ण होने पर इसके उपयोग से पहले राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी अधिकारी को इसकी सूचना देना होगा.
एक बार संचालन शुरू होने के बाद वह लिफ्ट या एक्सलेटर का नियमित समय अंतराल पर रखरखाव का काम कराना होगा. साथ ही एएमसी लेनी होगी और उसे नियुक्त किए गए अधिकारी के पास जमा करना होगा.
कोई खराबी आने पर तकनीकी टीम या किसी खराबी के दूर करने की दशा में एएमसी तकनीकी टीम से प्रमाण पत्र लेना होगा. इसे लॉग बुक में लिखना होगा और मांगे जाने पर अधिकारी के सामने प्रस्तुत करना होगा.
रोज के संचालन के दौरान आने वाली तकनीकी खराबी को तुरंत दूर किया जाए. जब तक ऐसी तकनीकी खराबी दूर नहीं होती, उस पर ‘उपयोग में नहीं है’ का डिस्प्ले लगाना अनिवार्य होगा.
आपातकालीन स्थिति में किसी के फंसने और सुरक्षित बाहर निकालने के लिए साल में दो बार मॉक ड्रिल अभ्यास कराना होगा.
अस्पताल प्रबंधन ने नहीं दिया जवाबअब सवाल यह है कि अस्पताल में लगी लिफ्ट की तकनीकी खराबी का जिम्मेदार कौन है. यहां पर जो चीजें हुईं, आधे घंटे से लोग फंसे रहे. जब इसके बारे में अस्पताल प्रबंधन और उनके जिम्मेदारों से बातचीत करने की कोशिश की गई, तो किसी भी जिम्मेदार ने इस पर जवाब नहीं दिया.
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