फर्रुखाबाद: अगर आप परंपरागत खेती से हटकर कुछ नया करना चाहते हैं तो आप सब्जियों की खेती कर सकते हैं. इससे आपको तगड़ी कमाई होगी. फर्रुखाबाद के किसान पीर मोहम्मद ने दिखा दिया है कि थोड़ी तकनीकी समझ और मेहनत से लौकी जैसी आम सब्जी भी सोना उगल सकती है.
पीर मोहम्मद ने परंपरागत खेती छोड़कर अब सब्जियों की उन्नत किस्मों की खेती शुरू की है. वो लौकी, मिर्च, टमाटर, बैंगन और तोरई जैसी फसलों की नर्सरी खुद तैयार करते हैं. उन्होंने Local18 से बातचीत में बताया कि लौकी की फसल को वह खास किस्म के बीजों से तैयार करते हैं, जो महज एक महीने में फल देना शुरू कर देती है. खास बात यह है कि ये सभी सब्जियां जैविक तकनीक से उगाई जाती हैं, जिनमें किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता.
कैसे होती है लौकी की खेती?पीर मोहम्मद पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करवाते हैं और उसमें जैविक खाद डालते हैं. खेत को समतल करने के बाद करीब 2.5 x 2 मीटर की दूरी पर 30x30x30 सेंटीमीटर के गड्ढे तैयार किए जाते हैं. फिर नर्सरी में तैयार पौधों को इन गड्ढों में लगाया जाता है. पौधे बड़े होते ही समय पर सिंचाई और गुड़ाई की जाती है. इसके बाद महज 30 दिनों में पहली तुड़ाई शुरू हो जाती है.
लौकी की खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. 25 से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए आदर्श होता है. वहीं मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो तो फसल बंपर आती है.
मार्केट में जैविक सब्जियों की ज्यादा डिमांडकिसान के मुताबिक, शुरुआत में लौकी की कीमत 60 से 80 रुपये प्रति किलो तक मिलती है. एक बीघा खेत में अगर आप सही देखभाल करें, तो 60 से 70 हजार रुपये तक की कमाई करना कोई मुश्किल काम नहीं है. सबसे बड़ी बात ये है कि जैविक सब्जियों की बाजार में डिमांड ज्यादा होती है, इसलिए माल हाथों-हाथ बिक जाता है.
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लोगों के लिए बने प्रेरणापीर मोहम्मद जैसे किसान आज एक मिसाल हैं, जो न सिर्फ खुद तरक्की कर रहे हैं, बल्कि आसपास के किसानों को भी जैविक खेती की ओर प्रेरित कर रहे हैं. उनकी खेती की खासियत ये है कि न तो ज्यादा लागत लगती है, न ही केमिकल का झंझट और मुनाफा भी अच्छा खासा हो रहा है. अगर आप खेती से आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो पीर मोहम्मद की तरह लौकी और दूसरी सब्जियों की खेती कर सकते हैं.