Last Updated:May 26, 2025, 14:34 ISTअमेठी के सैयद इकबाल हैदर 25 वर्षों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर समाज सेवा कर रहे हैं. मां की प्रेरणा से शुरू हुई उनकी सेवा में शरबत वितरण, पानी की सुविधा और कोरोना में दवा छिड़काव भी शामिल है.X
मौजूद सैयद इकबाल हैदरहाइलाइट्ससैयद इकबाल हैदर 25 वर्षों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं.इकबाल ने मां की प्रेरणा से समाज सेवा शुरू की.इकबाल ने कोरोना में दवा छिड़काव और शरबत वितरण भी किया. आदित्य कृष्ण /अमेठी- कभी-कभी जिंदगी के संघर्ष और परिवार की प्रेरणा ही किसी इंसान को समाज के लिए बड़े काम करने के लिए प्रेरित कर देते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ अमेठी के सैयद इकबाल हैदर के साथ, जिन्होंने अपने हौसले और निस्वार्थ सेवा के जज्बे से लोगों के दिलों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. वे पिछले 25 वर्षों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं और समाज में जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं.
मां की प्रेरणा से शुरू हुई सेवा यात्रासैयद इकबाल की मां भी समाज सेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करती थीं। वे गांव में बीमार लोगों का इलाज करवाने, अस्पताल ले जाने और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए जानी जाती थीं. इकबाल ने अपनी मां की इस सेवा भावना को देखकर यह काम शुरू किया. मां की बीमारी और उसके दौरान मिलने वाली मदद की कमी ने उन्हें भीतर से झकझोर दिया और उन्होंने तय किया कि वे समाज की सेवा करना अपना मकसद बनाएंगे. 1999 से वे लगातार इस नेक काम को कर रहे हैं. अब तक उन्होंने 100 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर उनकी आत्मा को शांति दी है.
सेवा का दायरा सिर्फ अंतिम संस्कार तक सीमित नहींसिर्फ शवों के अंतिम संस्कार ही नहीं, सैयद इकबाल हैदर अपने समाज सेवा के कई अन्य रूपों में भी सक्रिय हैं. वे मुस्लिम होने के बावजूद मंदिरों में शरबत वितरित करते हैं, गर्मियों में राहगीरों को निशुल्क ठंडा पानी पिलाते हैं. कोरोना महामारी के समय उन्होंने अपने पीठ पर दवा का छिड़काव कर संक्रमण रोकने में भी मदद की. उनका मानना है कि सेवा धर्म का सच्चा अर्थ है बिना भेदभाव के सभी की मदद करना.
समाज में सकारात्मक संदेश फैलाना चाहते हैं इकबालसैयद इकबाल का मकसद केवल अपने काम से लोगों की मदद करना ही नहीं, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश फैलाना भी है. वे चाहते हैं कि उनकी तरह और लोग भी सेवा के रास्ते पर चलें. उन्होंने अपने बच्चों को भी यह काम सिखाया है ताकि यह सेवा भाव उनके परिवार में हमेशा बना रहे और समाज में अच्छाई फैलती रहे.
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