भारतीय रेलवे ने झांसी डिवीजन में नई तकनीक का किया इस्तेमाल.

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Last Updated:May 26, 2025, 09:23 ISTIndian Railways- भारतीय रेलवे ने झांसी डिवीजन में 48-फाइबर ऑप्टिकल केबल का उपयोग शुरू किया है, जिससे ट्रेन ऑपरेशंस में रुकावट कम होगी और संचार अधिक सुरक्षित और तेज़ होगा.उत्‍तर मध्‍य रेलवे के झांसी डिवीजन में इस्‍तेमाल हुई नई तकनीक.नई दिल्‍ली. ट्रेन का सफर अपने आप आपको अलग ही आनंद देता है.विंडो से बाहर का नजारा देखते हुए यात्रा कब पूरी हो जाती है, पता ही नहीं चलता है. लेकिन यात्रियों की एक शिकायत कई बार ट्रेन रास्‍ते या आउटर में खड़ी हो जाती है और काफी काफी देर तक खड़ी रहती है, जो परेशानी का कारण होती है. लेकिन अब भारतीय रेलवे एक नई तकनीक का इस्‍तेमाल करने जा रहा है. जिससे इस तरह की समस्‍याओं में कमी आएगी. इसका इस्‍तेमाल फिलहाल झांसी डिवीजन में किया गया है. अन्य जगह भी जल्‍द शुरू किया जा सकता है.

झांसी डिवीजन के महोबा – चितहरी खंड में स्टैंडबाय ब्लॉक वर्किंग के लिए 48-फाइबर ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) से लैस अत्याधुनिक संचार प्रणाली को सफलतापूर्वक चालू कर दिया गया है. यह काम गतिशाक्ति यूनिट और एस एंड टी टीम झाँसी द्वारा किया गया. इससे ट्रेनों के ऑपरेशंस में कई तरह का फायदा होगा. रेल मंंत्रालय के अनुसार इस तकनीक का इस्‍तेमाल दूसरे डिवीजनों में भी किया जाएगा.

नई तकनीक की खासियत

. जहां इस तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया है, वो कुल 11 किमी लंबा है, जिसमें 48-फाइबर की ओएफसी डाली गई है.. यूनिवर्सल फैल सेफ ब्लॉक इंटरफेस (UFSBI) को डार्क फाइबर्स पर मीडिया चेंजओवर के साथ ट्रांसफर किया गया है.. इसके साथ ही हाई अवेलबिलिटी सिंगल सेक्‍शन डिजीटल एक्‍सल काउंटर तकनीक को डुअल ओएफसी पर मीडिया चेंजओवर सुविधा के साथ चालू किया गया है, जिससे सिस्टम में उच्च स्तर की रिडंडेंसी प्राप्त होती है.. सभी फाइबर्स का ट्रायल कर उन्हें महोबा तथा चितहरी के ओएफसी रूम में प्रॉपर तरीके से टर्मिनेट किया गया है. यह कार्य डिवीजन के वरिष्ठ अधिकारियों औरतकनीकी टीम के समन्वय से सफलता पूर्वक पूरा किया गया है.

ये है फायदा

इस नई ओएफसी लैस तकनीक के माध्यम से लम्बे ब्लॉक सेक्शनों में संचार अधिक सुरक्षित, तेज़ और विश्वसनीय हो गया है. स्टैंडबाय ब्लॉक वर्किंग की व्यवस्था से ट्रेन ऑपरेशंस में रुकावट की स्थिति में भी वैकल्पिक संचार बना रहेगा, जिससे ऑपरेंशंस चलता रहेगा और लेट लतीफी में कमी आएगी. साथ ही डुअल ओएफसी और मीडिया चेंजओवर जैसी सुविधाएं प्रणाली को तकनीकी दृष्टि से अधिक मजबूत और फेल-सेफ बनाती हैं.

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