धरोहर: झांसी का वह सुरक्षित दरवाजा, जहां से मराठा शासक जाते थे पूजा अर्चना करने, जानें इसका इतिहास

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Last Updated:May 26, 2025, 08:26 ISTधरोहर: इतिहास के जानकार डॉ रामनरेश देहुलिया ने बताया कि मराठा शासकों के झांसी आने के बाद नरूशंकर ने झांसी किले की सुरक्षा के लिए एक परकोटा बनाया था. इस परकोटे की अलग-अलग दिशाओं में 10 गेट और कुछ खिड़कियां बनाई…और पढ़ेंX

लक्ष्मी गेट क्या आप झांसी के उस दरवाजे के बारे में जानते हैं. जहां से महारानी लक्ष्मीबाई रोज गुजरती थीं?. वह दरवाजा जहां से वह रोज पूजा अर्चना करने के लिए जाती थीं. जी हां, उस दरवाजे का नाम लक्ष्मी दरवाजा है. वर्तमान समय में लोग इसे लक्ष्मी गेट के नाम से जानते हैं. लक्ष्मी गेट से ही होकर महारानी लक्ष्मी बाई रोजाना मां लक्ष्मी के मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए जाती थीं. वह किले से निकल कर लक्ष्मी दरवाजे से होते हुए ही मंदिर तक जाती थीं. यह दरवाजा उस परकोटे का हिस्सा है. जो किले की सुरक्षा के लिए बनाया गया था.

इतिहास के जानकार डॉ रामनरेश देहुलिया ने बताया कि मराठा शासकों के झांसी आने के बाद नरूशंकर ने झांसी किले की सुरक्षा के लिए एक परकोटा बनाया था. इस परकोटे की अलग-अलग दिशाओं में 10 गेट और कुछ खिड़कियां बनाई गई थीं. इनमें खंडेराव गेट, दतिया गेट, उन्नाव गेट, सागर गेट, बड़ागांव गेट और लक्ष्मी गेट प्रमुख रूप से शामिल हैं. यह सभी गेट सुरक्षा की दृष्टि से बनाए गए थे. हर गेट की ऊंचाई भी अलग है. सुरेश दुबे के अनुसार लक्ष्मी मंदिर के समीप होने के ही कारण इसका नाम लक्ष्मी दरवाजा पड़ा.

बुंदेली और मराठा संस्कृति का संगमलक्ष्मी गेट से ही होकर मराठा शासक अपनी कुलदेवी के दर्शन के लिए जाते थे. यह गेट बुंदेली और मराठा संस्कृति का संगम है. समय के साथ अधिकतर गेट अतिक्रमण का शिकार होते चले गए.आज सिर्फ लक्ष्मी गेट ही ऐसा गेट है जो पूरी तरह सुरक्षित है.इसका श्रेय लक्ष्मी गेट के आस पास रहने वाले लोगों को जाता है. जो अपने निजी खर्च से इस गेट का रखरखाव करते हैं. इसके साथ ही लक्ष्मी गेट के दूसरी तरफ महाकाली मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, लक्ष्मी ताल तथा राजा गंगाधर राव की छतरी भी है. इन स्थलों की वजह से पर्यटक आते रहते हैं जो लक्ष्मी गेट को भी देखते हैं.इसी वजह से आज तक यह गेट अतिक्रमण मुक्त है.

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