सत्यम कटियार/ फर्रुखाबाद- जहां एक ओर किसान बदलते मौसम की मार झेल रहे हैं, वहीं फर्रुखाबाद जिले के किसान बबलू राजपूत ने अपने हौसले और मेहनत से कुछ अलग कर दिखाया है. उन्होंने मौसमी फसलों की जगह बागवानी को अपनाकर सेब, अंजीर, बादाम और नारियल जैसी फसलों की खेती शुरू की और इसमें सफलता भी पाई.
जिलाधिकारी से मिली प्रेरणाबबलू राजपूत बताते हैं कि उन्हें बागवानी की प्रेरणा जिले के जिलाधिकारी से मिली. इसके बाद उन्होंने कृषि विभाग के सहयोग से फरवरी 2023 में 175 सेब, 500 अंजीर, 5 बादाम और 5 नारियल के पौधे लगाए. शुरुआत में ये पौधे छोटे थे, लेकिन एक साल में ही वे करीब 70,000 रुपये का लाभ कमा पाए.
बंजर जमीन पर अब लहरा रही है बादाम की फसलबबलू राजपूत कहते हैं कि शुरुआत हमेशा कठिन होती है, लेकिन मेहनत रंग लाती है. पहले जो जमीन बंजर पड़ी रहती थी, वहां अब महंगी बिकने वाली बादाम की फसल लहरा रही है. बढ़ती डिमांड के चलते फर्रुखाबाद के साथ-साथ आस-पास के जिलों से भी फलों की मांग आने लगी है.
आलू की खेती से घाटा, बागवानी बना नया विकल्पफर्रुखाबाद जिले के किसान आलू की खेती में लगातार नुकसान झेल रहे हैं. इस स्थिति में बबलू राजपूत ने एक वैकल्पिक रास्ता दिखाया है. उनकी बागवानी ने साबित कर दिया कि किसान परंपरागत फसलों से हटकर भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
छोटे पौधों में भी आया बड़ा उत्पादनछोटे पौधों में ही 50 से 350 फल तक आने लगे हैं. केवल फर्रुखाबाद ही नहीं, बाराबंकी, बांदा और लखनऊ जैसे जिलों से भी फलों की भारी मांग आ रही है. इससे यह साफ है कि बागवानी किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बनकर उभरी है.
पौधारोपण के लिए जरूरी तकनीकी जानकारीलोकल 18 से बातचीत के दौरान बबलू राजपूत बताते हैं कि पौधारोपण के समय 10×12 फीट का अंतराल होना चाहिए और प्रति एकड़ करीब 400 पौधे लगाए जा सकते हैं. 2 से 3 वर्षों में 80% पौधों में फल आने लगते हैं. एक खास बात यह है कि मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए लेकिन पानी का जमाव नहीं होना चाहिए.
फलों की गुणवत्ता पर पोषण का प्रभावसेब की फसल में फल गुच्छों में आते हैं, और सही देखभाल होने पर हर गुच्छे में 4 फल तक आ सकते हैं. हालांकि अगर गुच्छे में चार से अधिक फल आते हैं, तो उनकी साइज छोटी हो जाती है. इसलिए संतुलित पोषण और उचित देखभाल जरूरी है.