Menstrual Cycle and Mental Health: बहुत सी महिलाओं के लिए, हर महीने एक ही सवाल होता है जो वे खुद से पूछती हैं कि पीरियड से ठीक पहले मुझे खुद में एक बिलकुल अलग इंसान जैसा क्यों नजर आता है? एक हफ्ते वो बहुत फुर्तीली और एनर्जी से भरी होती हैं और अगले ही हफ्ते बिना किसी ठोस वजह के चिड़चिड़ी, फिक्रमंद, या आंसुओं से भरी होती है.
कुछ महिलाओं के लिए, जो अपने साइकल को कैलेंडर के हिसाब से ट्रैक नहीं करते हैं, ये आने वाले ‘महीने के उस समय’ का इशारा भी होता है. जबकि इसे ज्यादातर ‘बस पीएमएस’ कहकर टाल दिया जाता है, कुछ लोगों के लिए जज्बाती बोझ इतना सीरियस हो सकता है कि ये काम, रिश्तों और यहां तक कि नींद में भी रुकावट डाल सकता है.
इसके पीछे का साइंस
डॉ. निधि गोहिल (Dr Nidhi Gohil), फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, बिड़ला फर्टिलिटी एंड आईवीएफ, सुशांत लोक, दिल्ली ने बताया कि कई महिलाओं के लिए, मेंस्ट्रुअल साइकिल सिर्फ क्रैम्पस और ब्लोटिग के बारे में नहीं है, असल में ये हार्मोनल रोलरकोस्टर है जिसका मेंटल हेल्थ पर बहुत ही रियल इम्पैक्ट पड़ता है. पीरियड्स 4 अहम हार्मोन द्वारा संचालित होता है, जैसे- एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH). जबकि ये ओव्यूलेशन और मेंस्ट्रुअल साइकिल को कंट्रोल करते हैं, लेकिन वो सीधे सेरोटोनिन को भी अफेक्ट करते हैं, जो ब्रेन मूड बैलेंसिंग केमिकल होता है.
कैसे काम करता है?जैसे-जैसे आपके मेंस्ट्रुअल साइकिल से पहले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन कम होते हैं, सेरोटोनिन भी कम हो सकता है. नतीजा? मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, एंग्जायटी, कम एनर्जी, नींद में खलल. ये सभी अक्सर होते हैं लेकिन शायद ही कभी गंभीरता से लिए जाते हैं.
कुछ महिलाओं के लिए, ये रेगुलर प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) हो सकता है, लेकिन दूसरों के लिए, ये जज्बाती लक्षण इससे आगे बढ़कर प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) नामक स्थिति में विकसित हो सकते हैं. ये कंडीशन महिलाओं के एक छोटे लेकिन ध्यान देने लायक ग्रुप के लिए मौजूद है और इसके कारण गंभीर मूड से जुड़ी गड़बड़ी और डिप्रेशन हो सकता है जो उनके दिन-ब-दिन के कामकाज को अफेक्ट करता है.
कैसे मिलेगी राहत?
हालांकि आप अपने हार्मोन और बाद के इमोशन को स्विच ऑफ नहीं कर सकते हैं, आप बेहतर मैनेजमेंट के लिए अपने शरीर को पॉजिटिव सिग्नल भेज सकते हैं.
1. हल्की एक्सरसाइज: 20 मिनट की वॉकिंग, हल्का योग या स्ट्रेचिंग की कोशि करें. कसरत मूड-कंट्रोलिंग एंडोर्फिन में सुधार करता है.
2. रेगुलेट करने के लिए खाएं: साबुत अनाज, लीन प्रोटीन, फल और पत्तेदार साग के साथ ब्लड शुगर और हार्मोन को बैलेंस करें.
3. सांस लें और खुद को लेकर अच्छे रहें: मेडिटेशन या 5 मिनट का कंसंट्रेटेड ब्रीदिंग भी एंग्जायटी को शांत करने में मदद कर सकते हैं.
4. मदद लें: अगर आप हर साइकिल के साथ जज्बाती तौर पर थक जाते हैं, तो किसी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से बात करें.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें