After 8 Hours of procedure Doctors Completes Worlds first human bladder transplant dialysis Free | 8 घंटे की कोशिश और डॉक्टर ने किया दुनिया का पहला ब्लैडर ट्रांसप्लांट, 7 साल बाद मरीज को मिला डाइलिसिस से छुटकारा

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After 8 Hours of procedure Doctors Completes Worlds first human bladder transplant dialysis Free | 8 घंटे की कोशिश और डॉक्टर ने किया दुनिया का पहला ब्लैडर ट्रांसप्लांट, 7 साल बाद मरीज को मिला डाइलिसिस से छुटकारा



World’s first Bladder transplant: ब्लैडर हमारे शरीर का एक बेहद अहम ऑर्गन है जिसका अहम काम यूरिन को होल्ड करके रखता है, जैसे-जैसे जैसे इसमें पेशाब भरता है ये गुब्बारे की तरह फैलने लगता है. अगर इसमें कोई परेशानी आ जाए तो डेली लाइफ की नॉर्मल एक्टिविटीज में भी मुश्किलें आने लगती हैं. ब्लैडर को ट्रासप्लांट करना भी मुश्किल है, लेकिन अब डॉक्टर इस फील्ड में अहम सफलता पाई है.

पहली बार ब्लैडर ट्रांसप्लांटयूसीएलए हेल्थ (UCLA Health) और केक मेडिसिन यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (Keck Medicine University of Southern California) के डॉक्टर्स ने एक शानदार मेडिकल एचीवमेंट हासिल की है, जहां उन्होंने दुनिया का पहला इंसानी ब्लैडर ट्रांसप्लांट (Human Bladder Transplant) किया है. ये इनोवेटिव सर्जरी उन मरीजों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है जो सीरियस ब्लैडर डिसफंक्शन (Bladder Dysfunction) से जूझ रहे हैं, खासकर वa जिन्हें किडनी फेलियर के कारण लंबे वक्त से डायलिसिस करवाना पड़ रहा है.
8 घंटे की कोशिश में मिली कामयाबीयूएससी इंस्टीट्यूट ऑफ यूरोलॉजी (USC Institute of Urology) के फाउंडिंग एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. नीमा नासिरी (Dr. Nima Nassiri ) की लीडरशिप में की गई ये 8 घंटे की प्रोसीजर में एक डोनप से नए गुर्दे और नए ब्लैडर दोनों का ट्रासप्लांटेशन शामिल था. रिसीवर 41 साल का शख्स था जिसने ट्यूमर को हटाने के प्रॉसेस के दौरान अपने ज्यादातर ब्लैडर को खो दिया था और बाद में कैंसर और आखिरी स्टेड की किडनी डिजीज के कारण दोनों गुर्दे भी खो दिए थे, जिसके बाद उसे 7 साल से डायलिसिस पर रहना पड़ रहा था.
क्यों है ये लैंडमार्क अचीवमेंट?इस तकनीक का अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि इसमें एक इंसानी अंग का इस्तेमाल करके प्रोपर यूरिनरी फंक्शन (Urinary Function) को बहाल करने की क्षमता रखता है, जो आंतों के टिशू (Intestinal tissue) पर डिपेंड रहने वाले पिछले तरीकों से अलग है. आंतों के टिशू, हालांकि ब्लैडक के रिकंस्ट्रक्शन के लिए इस्तेमालल किए जाते हैं, उनमें लिमिटेशंस होती हैं क्योंकि वे वेस्ट को एब्जॉर्ब करते हैं, जिससे पहले से ही कमजोर गुर्दों पर एक्सट्रा प्रेशर पड़ता है. हालांकि, एक ट्रासप्लांटेड ब्लैडर बिना एब्जॉर्ब्शन के पेशाब को स्टोर करता है और बाहर निकालता है, जिससे ये बोझ कम होता है और किडनी फंक्शन में कमी वाले मरीजों के लिए ये अहम साबित होता है.
उम्मीद की नई किरणसर्जरी के तुरंत बाद, ट्रांसप्लांटेड किडनी ने बड़ी मात्रा में यूरिन का प्रोडक्शन शुरू कर दिया, और रोगी के किडनी फंक्शन नाटकीय रूप से बेहतर हो गया, जिससे आगे डायलिसिस की जरूरत खत्म हो गई. जबकि ट्रासप्लांटेड ब्लैड के मांसपेशियों का काम सीमित हो सकता है, इसकी इफिकेसी के लिए सफल वेस्कुलर और नर्व कनेक्शन (nerve connections) सबसे अहम हैं.



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