दर्दनाक घटना… और तबाह हुआ चमकदार करियर, इन 3 क्रिकेटर्स को मजबूरी में लेना पड़ा संन्यास

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दर्दनाक घटना... और तबाह हुआ चमकदार करियर, इन 3 क्रिकेटर्स को मजबूरी में लेना पड़ा संन्यास



हर क्रिकेटर का सपना होता है कि वह अपने देश के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट जरूर खेले, लेकिन 3 क्रिकेटर ऐसे भी हैं, जो बहुत बदकिस्मत रहे हैं. इन तीन क्रिकेटर्स का करियर चोट, बीमारी और खराब किस्मत के कारण खत्म हो गया. इंटरनेशनल क्रिकेट में 3 ऐसे खिलाड़ी रहे हैं, जिन्हें ना चाहते हुए भी वक्त से पहले अपने इंटरनेशनल क्रिकेट करियर को अलविदा कहना पड़ा है. इन 3 खिलाड़ियों के संन्यास की वजह अलग-अलग है, लेकिन दर्दनाक है. हम आपको बताएंगे क्रिकेट इतिहास से जुड़े उन 3 खिलाड़ियों के बारे में जिनका करियर इंटरनेशनल क्रिकेट में वक्त से पहले ही खत्म हो गया.
1. क्रेग कीसवेटर
क्रेग कीसवेटर इंग्लैंड के धाकड़ क्रिकेटरों में से एक रहे हैं. क्रेग कीसवेटर ने इंग्लैंड को साल 2010 में पहला टी20 वर्ल्ड कप का खिताब जिताने में बड़ी भूमिका निभाई थी. क्रेग कीसवेटर टी20 वर्ल्ड कप 2010 के फाइनल मैच में ‘मैन ऑफ द मैच’ रहे थे. क्रेग कीसवेटर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप 2010 के फाइनल मैच में 49 गेंदों में 63 रनों की पारी खेली थी. क्रेग कीसवेटर की पारी में 7 चौके और 2 छक्के शामिल रहे थे. इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप 2010 का फाइनल मैच 18 गेंदें बाकी रहते 7 विकेट से जीता था. क्रेग कीसवेटर को एक हादसे की वजह से जून 2015 में 27 साल की उम्र में संन्यास का ऐलान करना पड़ा. क्रेग कीसवेटर इंग्लैंड क्रिकेट टीम के उभरते हुए सितारे थे, लेकिन बदकिस्मती से इंग्लैंड टीम का ये सितारा ज्यादा समय तक चमक ना सका और आंख पर लगी एक गंभीर चोट के कारण क्रिकेट के मैदान से दूर हो गया.
आंख में लगी गंभीर चोट
क्रेग कीसवेटर ने इंग्लैंड के लिए 22 साल की उम्र में अपना पहला इंटरनेशनल मैच खेला था. उन्होंने 2010 के टी20 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की टीम को विजेता बनाने में अहम भूमिका भी निभाई थी. उस टी20 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में क्रेग के बल्ले से 261 रन निकले थे, लेकिन 2014 में एक काउंटी क्रिकेट मैच के दौरान उन्हीं के साथी खिलाड़ी डेविड विली की बॉल उनके हेल्मेट के अंदर घूसती हुई आंख से टकरा गई. क्रेग कीसवेटर ने इंग्लैंड के लिए 46 वनडे मैचों में 30.11 की औसत से रन बनाए हैं, जिसमें 1 शतक और 5 अर्धशतक शामिल हैं. वनडे इंटरनेशनल में इस बल्लेबाज का बेस्ट स्कोर 107 रन रहा है. क्रेग कीसवेटर ने वनडे इंटरनेशनल में 12 स्टंपिंग करने के अलावा 53 कैच भी लपके हैं. टी20 इंटरनेशनल में क्रेग कीसवेटर ने 25 मैचों में 21.91 की औसत से 526 रन बनाए हैं, जिसमें 3 अर्धशतक शामिल हैं. टी20 इंटरनेशनल में इस बल्लेबाज का बेस्ट स्कोर 63 रन रहा है. क्रेग कीसवेटर ने टी20 इंटरनेशनल में 3 स्टंपिंग करने के अलावा 17 कैच भी लपके हैं.

2. जेम्स टेलर
लिस्ट में जो दूसरा खिलाड़ी शामिल है, वो भी इंग्लैंड क्रिकेट टीम का ही हिस्सा रहा है, नाम है जेम्स टेलर. इंग्लैंड में कभी टैलेंटेड खिलाड़ियों की कमी नहीं रही है, उन्हीं में से एक थे जेम्स टेलर. जेम्स ने अपने करियर की शुरुआत 2011 में की थी तब उनकी उम्र 21 साल थी, लेकिन अपने करियर की शुरुआत के मात्र 5 साल बाद सभी को पता चला कि जेम्स को दिल से संबंधित बीमारी है और अगर वह लगातार क्रिकेट खेलना जारी रखते हैं, तो ये बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है. संन्यास के समय 26 साल के टेलर शानदार फॉर्म में थे. उस साल उन्होंने इंग्लैंड के लिए शतक भी लगाया था. अपने करियर में वे सिर्फ 7 टेस्ट और 27 वनडे मैच ही खेल सके. टेस्ट मैच की 13 पारियों में उन्होंने 312 रन बनाए थे, वहीं वनडे क्रिकेट की 26 पारियों में उनके बल्ले से 42.24 की औसत से 887 रन निकले.

पूरी दुनिया के होश उड़ गए
शुरुआत में माना जा रहा था कि जेम्स टेलर को कोई वायरल बीमारी है, लेकिन फिर ऐसी जानकारी सामने आई कि पूरी दुनिया के होश उड़ गए. स्कैन से पता चला कि जेम्स टेलर को ARVC (Arrhythmogenic Right Ventricular Cardiomyopathy) नाम की दिल से जुड़ी बीमारी है. ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के अनुसार, ARVC एक हेरेडिटरी बीमारी है जिसके कारण हृदय की मांसपेशियों की दीवारें खिंच जाती हैं, जिससे खून का फ्लो बाधित होता है और आमतौर पर समय के साथ यह स्थिति और भी बदतर होती जाती है. इस बीमारी में अचानक मृत्यु का भी जोखिम रहता है.

3. प्रज्ञान ओझा
कोई गेंदबाज किसी टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने जैसा जबरदस्त प्रदर्शन करे और उसके बाद उसका करियर खत्म हो जाए, तो आपको उस पर यकीन नहीं होगा. ऐसा एक उदाहरण बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) हैं, जिन्हें टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने के बावजूद टीम से ऐसा बाहर किया गया कि वो फिर कभी लौटकर ही नहीं आए. ये गेंदबाज कभी टीम इंडिया (Team India) का सबसे बड़ा हथियार था और रविचंद्रन अश्विन के साथ उनकी जोड़ी हिट मानी जाती थी.
बॉलिंग एक्शन को लेकर बवाल
बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा (Pragyan Ojha) को 33 साल की उम्र में ही संन्यास की घोषणा करनी पड़ी थी और इसकी सबसे बड़ी वजह रवींद्र जडेजा बने. प्रज्ञान ओझा ने 14 नवंबर 2013 को अपना आखिरी टेस्ट मैच वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था, जो सचिन तेंदुलकर का इंटरनेशनल क्रिकेट से विदाई मैच भी था. मुंबई में खेले गए इस टेस्ट मैच में प्रज्ञान ने दोनों पारियों में 40 रन पर 5 विकेट और 49 रन पर 5 विकेट चटकाते हुए 89 रन देकर 10 विकेट लेने का कारनामा किया था. इसके बाद ओझा के एक्शन पर सवाल उठा दिए गए. इसी कारण उन्हें मजबूरन टीम इंडिया से बाहर बैठना पड़ा. इसके बाद उन्होंने एक्शन में सुधार के लिए जमकर मेहनत की और आईसीसी से क्लीन चिट भी हासिल कर ली, लेकिन तब तक तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) की गुडबुक में शामिल रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर चुके थे. इस कारण दोबारा ओझा की टीम में कभी वापसी नहीं हो पाई.



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