Medical Tourism In India: अमेरिका में मेडिकल खर्च को लेकर लगातार इजाफा जारी है, ऐसे में ज्यादा से ज्यादा मरीज लागत इफेक्टिव ट्रीटमेंट ऑप्शंस के लिए विदेशों की तरफ रुख कर रहे हैं. इसी के साथ टैरिफ का मेडिकल टूरिज्म इंडस्ट्री पर असर देखा जा सकता है. ये जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई है.
टैरिफ से हेल्थकेयर पर असरहाल ही में अमेरिकन बिजनेस पॉलिसी में कई बड़े बदलाव हुए हैं, खास तौर से चीन जैसे देशों पर इंम्पोर्ट ड्यूटी को लेकर चेंजेज देखे गए हैं. इन नीतियों को आमतौर पर आर्थिक और जियोपॉलिटक विचारों के जरिए सही ठहराया जाता है, लेकिन ये नीतियां मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री खास तौर से मेडिकल टूरिज्म सहित दूसरे क्षेत्रों को भी अफेक्ट करती हैं.
मेडिकल डिवाइस की कीमतें बढ़ींएक प्रमुख डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा के मुताबिक, एक बड़ा आउटकम ये देखना होगा कि टैरिफ का मेडिकल टूरिज्म पर क्या असर पड़ता है. मेडिकल टूरिज्म का मतलब हेल्थ केयर हासिल करने के लिए दूसरे देश में सफर करने से है. अमेरिका ने चीन से इम्पोर्ट होने वाले कई मेडिकल प्रोडक्ट्स पर भारी टैरिफ लगाया है, जिसमें सीरिंज, रबर मेडिकल एंड सर्जिकल ग्लव्स और फेस मास्क शामिल हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, “ये चीजें कई तरह की मेडिकल प्रोसीजर और डेली हेल्थकेयर ऑपरेशंस का अहम हिस्सा हैं. ऐसे सामानों पर टैरिफ लगाने से सप्लाई चैन डिस्टर्ब हुई है, अस्पताल खरीद रणनीतियों पर बैन लगा है और पूरे अमेरिका में हेल्थ केयर डिस्ट्रीब्यूशन की लागत बढ़ गई है.”
भारत जैसे देशों में बढ़ेगा मेडिकल टूरिज्मइन बढ़ती लागतों के जवाब में, अमेरिकी लोग लगातार मेडिकल टूरिज्म की तरफ रुख कर रहे हैं. फेवरेट डेस्टिनेशंस में मेक्सिको, भारत, थाईलैंड और कोस्टा रिका शामिल हैं, जो इंटरनेशनल लेवल पर रिकोग्नाइज्ड हेल्थ केयर फैसिलिटीज देते हैं. मिसाल के तौर पर, अमेरिका में घुटने के रिप्लेसमेंट की सर्जरी की औसत लागत 50,000 डॉलर से ज्यादा हो सकती है, लेकिन भारत या मेक्सिको में यही प्रॉसेस 8000-12,000 डॉलर में की जा सकती है.
ऑपरेटिंग कॉस्ट में इजाफाअमेरिकन हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स को टैरिफ की वजह ऑपरेटिंग कॉस्ट में इजाफे का सामना करना पड़ रहा है. खास तौर से इम्पोर्टेड सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स, डायग्नोस्टिक इक्विप्मेंट और प्रोटेक्टिव गियर पर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय देखभाल के बीच कीमत अंतर बढ़ता जा रहा है, जिससे मरीजों को विदेश में इलाज कराने पर विचार करने के लिए फाइनेंशियल बूस्ट मिल रहा है.
अमेरिका में इलाज हुआ महंगाग्लोबलडाटा की सीनियर मेडिकल एनालिस्ट एलेक्जेंड्रा मर्डोक ने कहा, “हालांकि टैरिफ का मकसद हेल्थ केयर को अफेक्ट करना नहीं था, लेकिन इससे मरीज के फैसले अफेक्ट होते हैं. मेडिकल डिवासेज की लागत में इजाफे आखिरकार मरीजों को महंगे इलाज की तरफ लेकर जाती है.”
इकॉनमी पर असरमेडिकल आयात पर अमेरिकी टैरिफ न सिर्फ इंटरनेशनल बिजनेस रिलेशंस को, बल्कि घरेलू स्वास्थ्य सेवा इकोनॉमी को भी नया रूप दे रहे हैं. इसका सीधा नतीजा मेडिकल केयर की लागत में इजाफा है, जो असमान रूप से बिना बीमा और कम बीमा वाली आबादी को प्रभावित करती है.
मेडिकल टूरिज्म बढ़ेगाप्राइस प्रेशर का बड़ा असर आउटबाउंड मेडिकल टूरिज्म में राइज के तौर पर देखा जा रहा है. मरीज उन देशों में हाई क्वालिटी, सस्ती देखभाल की तलाश कर रहे हैं, जो इन टैरिफ से प्रभावित नहीं हैं. ये एक ट्रेंड भी बनता जा रहा है, जो कि फ्यूचर में भी बरकरार रह सकता है.
(इनपुट-आईएएनएस)
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