गजब की है धान की ये नई किस्म, कम पानी में होगी बंपर पैदावार, लाखों में कमाएंगे मुनाफा

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Last Updated:May 13, 2025, 15:43 ISTPaddy Cultivation: भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और इस खेती से किसानों को अच्छी आमदनी भी होती है. धान की खेती में पानी की जरूरत होती है. इसलिए अधिकांश किसान इसे बरसात के मौसम में करते हैं. लेकिन…और पढ़ें बासमती धान की कुछ नई किस्में किसानों के लिए आशा की किरण बनकर सामने आई हैं. ये किस्में कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं. आमतौर पर किसान बारिश के मौसम में धान की खेती करते हैं. धान की फसल को सामान्यतः बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है. सिंचाई की समस्या से जूझ रहे किसानों के लिए यह एक बड़ी चुनौती होती है. पानी की व्यवस्था के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है. इससे खेती की लागत बढ़ जाती है, लेकिन अब बासमती धान की कुछ नई किस्म इस समस्या का समाधान बन सकती है. ये नई किस्म सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी अच्छी पैदावार देने में सक्षम है. कम पानी में भी अच्छी फसल देने की क्षमता इस किस्म की विशेषता है. इससे किसानों की लागत कम होगी और मुनाफा बढ़ेगा. कृषि उपनिदेशक श्रवण कुमार ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वैसे तो धान की खेती हमारे देश में बरसात के मौसम में की जाती है, लेकिन धान की फसलों मे रोग लगने वह पानी की कमी के कारण धान की फसलों की खेती  करना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में बासमती धान की ये उन्नत किस्म किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती हैं. इसकी खेती में कम पानी और कम समय में अधिक पैदावार देती है. पूसा बासमती-834:  धान की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किया गया है. यह 125 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. धान की इस किस्म की पत्ती पर झुलसा रोग ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाता है. बासमती की इस किस्म को कम उपजाऊ मिट्टी या फिर कम पानी वाले क्षेत्रों में भी उगा कर तैयार किया जा सकता है. पूसा 834 बासमती धान किसानों को 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उपज दे सकती है. स्वर्ण पूर्वी धान-1: ये बासमती की एक खास किस्म है. इस किस्म को आईसीएआर पटना द्वारा विकसित किया गया है. ये कम पानी वाले क्षेत्रों में आसानी से उगाई जा सकती है. सूखा प्रतिरोधी यह किस्म धान की अगेती बुवाई के लिए बेहद ही अच्छी है. यह 115 से 120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. कम पानी में तैयार होने वाली धान की यह किस्म 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है. पूसा बासमती-1121:  ये बासमती की एक खास किस्म है. इस बासमती धान की किस्म की खासियत यह है कि इसे सूखे क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है. यह किस्म 140 से 145 दिन में पककर तैयार हो जाती है. ये धान की अगेती किस्म है और इसका दाना लंबा और पतला होता है. वहीं, इस किस्म का स्वाद और सुगंध काफी बढ़िया होता है. धान की इस किस्म से 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है. स्वर्ण शुष्क:  धान की ये किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाली किस्म है. धान की इस किस्म में रोग और कीट ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाते, इस धान में रोगों से लड़ने की क्षमता ज्यादा होती है. यह कम पानी में अच्छी ऊंचाई वाली किस्म है. यह किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में भी लगभग 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार देती है. ये किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. पूसा बासमती 1509:  धान की ये किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान आईसीएआर, नई दिल्ली द्वारा विकसित की गई कम अवधि में तैयार होने वाली किस्म है. यह किस्म 120 दिन में तैयार हो जाती है. वहीं, इसकी औसत करीब 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है इस किस्म के दाने लंबे व पतले होते हैं. इसके अलावा इस किस्म में चार सिंचाई की पानी बचाने में सहायता मिल सकती है. इस किस्म की खेती से अन्य धान की तुलना में पानी की 33 फीसदी तक बचत होती है.homeagricultureन लागत…न ही पानी की जरूरत….कमाल की है धान की ये किस्म, बंपर होगी पैदावार

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