Lung Disease In Karachi Due To Pigeons: बॉर्डर पर टेंशन के बीच पाकिस्तान की फाइनेंशियल कैपिटल में कबूतरों का ‘आतंक’ देखने को मिल रहा है. पीजंस के कॉन्टैक्ट में आने से होने वाली एक रेयक लेकिन सीरियस लंग डिजीज कराची में बढ़ रही है, जहां अब बर्ड फैंसीयर्स लंग (Bird Fancier’s Lung) यानी बीएफएल (BFL) के वीकली केस 15 से 25 के बीच दर्ज किए जा रहे हैं, जो एक दशक पहले देखे गए एक या दो वीकली मामलों से काफी ज्यादा हैं.
क्या है बर्ड फैंसीयर्स लंग?ये बीमारी, हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनिटिस (Hypersensitivity Pneumonitis) यानी एचपी (HP) का एक रूप है, जो चिंताजनक रेट से महिलाओं और बुजुर्गों को अफेक्ट कर रही है. ये कंडीशन कबूतर के पंखों और सूखे मल में पाए जाने वाले सूक्ष्म कणों, जिनका साइज महज 1-3 माइक्रोन होता है, इनको बार-बार सांस में लेने के कारण होती है. ये कण अक्सर खुली खिड़कियों या बिना सर्विसिंग वाले एयर कंडीशनर के जरिए घरों में इंटर करते हैं, फेफड़ों में गहराई तक जम जाते हैं और एलर्जिक रिएक्शंस को ट्रिगर करते हैं.
बीमारी के लक्षणइस बीमारी के लक्षण आमतौर पर हल्के से शुरू होते हैं, जिसमें लगातार खांसी, थकान, घरघराहट या सांस की तकलीफ होती है. हालांकि, अगर इसका इलाज न किया जाए, तो बीएफएल इर्रिवर्सिबल फेफड़ों के निशान में डेवलप हो सकता है जिसे इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (Interstitial Lung Disease) या आईएलडी (ILD) के रूप में जाना जाता है. गंभीर मामलों में, पेशेंट को ऑक्सीजन थेरेपी या यहां तक कि लंग ट्रांसप्लांट की भी जरूरत हो सकती है.
कराची के पीजन कल्चर पर सवालहाल के सालों में कराची में पीजन फीडिंग स्पॉट्स में इजाफा हुआ है, जिससे परिंदे पालने वालों और आस-पास के लोगों के लिए रिस्क बढ़ गया है. जैसे ही कबूतर अपने पंख फड़फड़ाते हैं और फीडिंग एरियाज में घूमते हैं, वो हवा में एलर्जी पैदा करते हैं, जो करीब के सराउंडिंग्स से बहुत दूर तक फैल सकती है.
हालांकि कबूतर को दाना देना और ऐसे फीडिंग स्पेस तैयार करना शहरी कल्चर का हिस्सा है, लेकिन इससे सेहत पर पड़ने वाले असर ने नए सिरे से हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. कई अफेक्टेड लोग इस खतरे से अनजान हैं जिसका वो सामना करते हैं, खासकर जब घरों या बंद कमरों के अंदर एक्सपोजर होता है.
विदेशों में इलाज की मजबूरीहालांकि बीएफएल का शुरुआती स्टेज में इलाज मुमकिन है, लेकिन पाकिस्तान में मौजूदा वक्त में लंग ट्रांसप्लांट की फैसिलिटीज में कमी हैं. एडवांस्ड स्टेज वाले मरीजों को विदेशों (अक्सर भारत, चीन या यूएई जैसे देश) में ट्रीटमेंट की तलाश करनी पड़ती है, जिससे परिवारों पर और आर्थिक बोझ पड़ता है.
कैसे बचा जा सकता है?हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स इस बात पर जोर देते हैं कि प्रिवेंशन सबसे अच्छा तरीका है. परिंदों को हैंडल करते वक्त मास्क और दस्ताने पहनने, पिंजरों की ड्राई स्वीपिंग से बचने और फिल्टर इंस्टॉल करने या एयर कंडीशनिंग सिस्टम की सर्विसिंग कराने जैसे आसान कदम रिस्क को काफी कम कर सकते हैं.
कराची के अस्पताल पर प्रेशरसमा टीवी के मुताबिक सिविल हॉस्पिटल कराची के अधिकारियों ने सांस की तकलीफ वाले मरीजों की बढ़ती तादात को कंफर्म किया है, लेकिन बीएफएल के लिए डिजीज स्पेसिफिक क्लासिफिकेशन सिस्टम की गैरमौजूदगी को स्वीकार किया. मेडिकल कोडिंग में इस फर्क के कारण मामलों की कम रिपोर्टिंग और स्ट्रक्चर डेटा की ओवरऑल कमी हुई है, जिससे प्रॉब्लम की इंतहा का आकलन करना मुश्किल हो गया है.
दुनियाभर में लिया गया एक्शनइंटरनेशल लेवल पर कई देशों ने बीएफएल और इसी तरह के रिस्क के जवाब में कड़े कदम उठाए हैं. ऑस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड ने पब्लिक हेल्थ कंसर्न के कारण शहरी क्षेत्रों में कबूतरों को खिलाने पर बैन लगा दिया है. यहां तक कि मक्का में, पवित्र काबा के पास पॉपुलर फीडिंग साइट को COVID-19 और MERS के पिछले आउटब्रेक्स के दौरान एयरबॉर्न डिजीज के रिस्क को कम करने के लिए खत्म कर दिया गया था.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.