How To Save Money with Generic Medicines For Poor And Middle Class Without Compromising Quality | गरीबों और मिडिल क्लास का मसीहा कैसे बन जाती है जेनेरिक दवाएं? लेकिन क्वालिटी से समझौता मंजूर नहीं

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How To Save Money with Generic Medicines For Poor And Middle Class Without Compromising Quality | गरीबों और मिडिल क्लास का मसीहा कैसे बन जाती है जेनेरिक दवाएं? लेकिन क्वालिटी से समझौता मंजूर नहीं



Generic Medicines: आज हम ऐसे दौर में जी रहे हैं जब हेल्थकेयर कॉस्ट तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में जेनेरिक दवाएं इलाज की क्वॉलिटी से समझौता किए बिना एक सस्टेनेबल और कॉस्ट इफेक्टिव सॉल्यूशन प्रोवाइड करती हैं. भारत में जो लोग महंगी दवाओं का खर्च नहीं उठा सकते हैं, उनके लिए जेनेरिक दवाओं को अपनाना काफी राहत भरा हो सकता है. 
क्या है जेनेरिक मेडिसिन?जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं के बायोइक्विवेलेंट काउंटरपार्ट्स हैं जिनमें एक जैसे एक्टिव इंग्रेडिएंस, डोज के फॉर्म और मेडिसिनल इफेक्ट होते हैं. ऑरिजनल ब्रांडेड दवा के पेटेंट खत्म होने के बाद इनकी मार्केटिंग की जाती है और बाकी मैन्युफैक्चरर्स भी इसे तैयार कर सकते हैं.

लंबी बीमारियों में फायदेमंद
ऑरिजनल ब्रांडेड दवाएं काफी महंगी होती है, और इन्हें बार-बार खरीदना जेब के लिए भारी पड़ सकता है. डॉ. सुजित पॉल (Dr. Sujit Paul) ने बताया कि जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा फायदा इसकी वाजिब कीमत है. कई स्टडीज में साबित किया गया है कि इनका खर्च ऑरिजनल ब्रांडेड मेडिसिंस से 50 से 90 फीसदी कम पड़ता है.
डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉइड से जुड़ी बीमारियों या दिल का रोग जैसे क्रोनिक डिजीज वाले ज्यादातर मरीज को हर महीने काफी ज्यादा खर्च दवाओं पर करना पड़ता है. एशियन जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल एंड क्लिनिकल रिसर्च में 2024 में छपी एक स्टडी में 51 प्रिस्क्रिप्शन का एनालिसिस किया गया और पाया गया कि ब्रांडेड एंटी-डायबिटिक दवाओं का एवरेज डेली कॉस्ट 28.15 रुपये था, जबकि उसी तरह की जेनेरिक मेडिसिन की कीमत ₹12.10 प्रति दिन थी. ये तकरीबन ₹480 की मंथली सेविंग में तब्दील होता है, जो लॉन्ग टर्म ट्रीटमेंट के लिए काफी है.
जेनेरिक दवाओं का बाजारइसके अलावा, भारतीय जेनेरिक दवाओं का बाजार का 2024 में $24.91 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने और 2023 और 2030 के बीच 6.02% के कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) हासिल करते हुए $35.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है. ये आंकड़े बताते हैं कि जेनेरिक दवाएं तेजी से देश की हेल्थ केयर की जरूरतों को पूरा करेंगी।.

क्या क्वॉलिटी मेंटेन होती है?जेनेरिक दवाओं की क्वालिटी एक अहम चिंता बनी हुई है. लेकिन सेंट्रल ड्रग्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेश (CDSCO) जैसी रेगुलेटरी बॉडीज ये सुनिश्चित करती हैं कि भारत में प्रोड्यूस होने वाले सभी जेनेरिक दवाएं सख्त क्वालिटी स्टैंडर्ड पर खरी उतरें. ऐसी दवाओं को जनता के लिए जारी करने से पहले बायोइक्विवेलेंस, सेफ्टी और इफिकेसी चेक पर मुश्किल इवैल्युएशन से गुजरना पड़ता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.



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