स्तनपान यानी ब्रेस्टफीडिंग को अक्सर सिर्फ शिशु के पोषण से जोड़ा जाता है, लेकिन ये प्रक्रिया मां के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है. यह न केवल शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी है, बल्कि मां को भी कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है.
दिल्ली स्थित सीके बिड़ला अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख सलाहकार डॉ. मंजूषा गोयल के अनुसार, स्तनपान के दौरान महिला के शरीर में ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो गर्भाशय को सिकोड़ने का काम करता है और उसे सामान्य आकार में लौटने में मदद करता है. इससे पोस्टपार्टम हेमरेज कम होता है और शरीर तेजी से रिकवर करता है.
वजन घटाने में मददगारस्तनपान कराने से शरीर में एक्स्ट्रा कैलोरी की खपत होती है, जिससे मां को वजन घटाने में मदद मिलती है. यह एक नेचुरल तरीका है, जिससे महिलाएं प्रसव के बाद खुद को फिट रख सकती हैं.
कैंसर से बचावकई शोधों में यह साबित हुआ है कि स्तनपान लंबे समय तक करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर और ओवरी के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है. इसके साथ ही टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारी की संभावना भी घट जाती है.
बच्चों के लिए बेशकीमती अमृतस्तनपान से नवजात को आवश्यक पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, फैट, विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं. खास बात यह है कि ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद DHA शिशु के ब्रेन के विकास में अहम भूमिका निभाता है और लंबे समय तक उसके मानसिक विकास को बेहतर बनाता है. इसके अलावा मां का दूध संक्रमण से भी बचाता है क्योंकि इसमें नैचुरल एंटीबॉडीज़ और इम्यून सेल्स होते हैं, जो बच्चे की इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं.
इमोशनल जुड़ाव भी बढ़ाता हैस्तनपान के दौरान मां और शिशु के बीच का स्किन-टू-स्किन कांटैक्ट एक गहरा इमोशनल बंधन बनाता है. यह बच्चे के मानसिक विकास में मदद करता है और उसे तनाव झेलने में मजबूत बनाता है.