Myths About Diabetes : डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में ब्लड शुगर (ग्लूकोज) का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है. ये स्थिति तब आती है, जब बॉडी इंसुलिन नहीं बनाता या इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता. हालांकि डाइट और लाइफस्टाइल में हेल्दी बदलाव कर आप डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं. लेकिन डायिबिटीज सो जड़े कई मिथ्स भी लोगों में फैली हुई हैं, जो न केवल डायबिटिक पेशेंट्स को डराता है, बल्कि उनकी इलाज में भी असर डालता है. इस खबर में हम आपको डायबिटीज से जुड़े मिथ्स के बारे में बताएंगे.
केवल मीठा खाने से होता है डायबिटीजडायबिटीज को लेकर सबसे आम मिथ है कि यह केवल ज्यादा मिठाई या चीनी खाने से होती है. लेकिन ऐसा नहीं है, डायबिटीज के मेटाबोलिक डिसऑर्डर है, जो शरीर में इंसुलिन के प्रोडक्शन या शरीर में उसके इस्तेमाल में गड़बड़ी के कारण होता है. टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम पैंक्रियाज में बन रहे इंसुलिन को बनाने वाले सेल्स पर हमला करता है. वहीं टाइप 2 डायबिटीज ओवरवेट, खराब लाइफस्टाइल, जेनेटिक और अनहेल्दी डाइट के कारण होता है. आपको बता दें, ज्यादा शुगर खाने से मोटापा बढ़ सकता है, जो टाइप 2 डायबिटीज के रिस्क को बढ़ा देता है.
डायबिटिक पेशेंट्स फल नहीं खा सकते हैंबहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि मीठे होने के कारण डायबिटिक पेशेंट्स फल नहीं खाना चाहिए. यह भी गलत है. फल में नेचुरल शुगर (fructose) होता है, साथ ही यह फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का भी एक अच्छा स्रोत है, जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है. सेब, जामुन, अमरूद, नाशपाती, पपीता जैसे फल सही मात्रा से खाने से कोई नुकसान नहीं होता है. वहीं ड्राई फ्रूट्स और ज्यादा मीठे फल जैसे अंगूर, आम, केले को कम मात्रा में खाना चाहिए. फलों को सही मात्रा और सही समय पर खाना जरूरी है.
इंसुलिन लेने का मतलब है कि हालत बहुत बिगड़ गई हैकई डायबिटिक पेशेंट्स इंसुलिन से डरते हैं, वह सोचते हैं कि हालात बहुत बिगड़ने पर ही इंसुलिन चढ़ाई जाती है. पर ऐसा नहीं है, टाइप 1 डायबिटिक पेशेंट्स को तो शुरुआत से ही इंसुलिन चढ़ाई जाती है, क्योंकि उनका शरीर इंसुलिन बना नहीं पाता. वहीं टाइप 2 डायबिटीज में दवाएं और लाइफस्टाइल चेंज न होने पर, पेशेंट्स को इंसुलिन की जरूरत पड़ती है.
दवाएं ले तो, डाइट और एक्सरसाइज की जरूरत नहीं हैकई लोग ऐसा सोचते हैं कि अगर वे डायबिटीज की दवा ले रहे हैं, तो अब उन्हें कोई परहेज या एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं है. लोगों का यह सोचना खतरनाक हो सकता है. डायबिटीज के इलाज में दवाओं के साथ-साथ बैलेंस्ड डाइट, रोजाना एक्सरसाइज, वेट कंट्रोल और स्ट्रेस कंट्रोल बेहद जरूरी है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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