Virat Kohli: टी20 क्रिकेट में चौकों-छक्कों की बौछार और रोमांच का ट्रिपल डोज फैंस को खूब पसंद आता है. लेकिन टी20 क्रिकेट और आईपीएल की चकाचौंध में वनडे क्रिकेट फीका पड़ चुका है. आने वाले युवा क्रिकेटर्स वनडे क्रिकेट के गणित को समझने से ज्यादा आक्रामक खेल को तरजीह दे रहे हैं. विराट ने भी वनडे क्रिकेट के भविष्य को लेकर बड़ा इशारा किया. उन्होंने बताया कि आने वाले युवाओं का ध्यान वनडे की तरफ क्यों नहीं है और उन्हें इसके लिए क्या-क्या ध्यान में रखना चाहिए.
क्या बोले विराट कोहली? एक पॉडकास्ट पर बोलते हुए विराट ने कहा, “वनडे क्रिकेट की खूबसूरती को चैंपियंस ट्रॉफी में बहुत से लोगों ने इसे महसूस किया. इस फॉर्मेट में सफल होने के लिए आपको अपने खेल के सभी पहलुओं को शामिल करना होगा. आपको धैर्य रखने की जरूरत है, आपको विस्फोटक खेल दिखाने की जरूरत है और आपको सहनशक्ति की जरूरत है. आपको विस्फोटक शक्ति और तीव्रता की जरूरत है, खासकर फील्डिंग के दौरान. क्योंकि यह ऐसा प्रारूप नहीं है जो धीमा चल रहा है.’
कैसे खेलना है ODI?
विराट ने आगे बताया, ‘आपको खेल के उन सभी पहलुओं को लागू करना होगा क्योंकि कभी-कभी परिस्थितियाँ आपको टी-20 के तरीके से खेलने की अनुमति नहीं देती हैं. इसलिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी, फिर भी 90, 92 पर स्ट्राइक करना होगा. आपको स्ट्राइक रोटेशन पर ध्यान देना है. फिर भी कुछ बाउंड्री लगानी होगी. इसलिए यह एक बहुत ही गणनात्मक प्रारूप है जहाँ परिस्थिति आपको बताती है कि आपको क्या करने की आवश्यकता है.’
सपाट पिचों के आदी युवा प्लेयर्स
उन्होंने आगे कहा, ‘आपको अपने खेल के सभी पहलुओं को अलग-अलग परिदृश्यों में लागू करने में सक्षम होने के लिए तैयार रहना होगा. मैंने देखा है कि विशेष रूप से आने वाले खिलाड़ी अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस प्रारूप को कैसे खेलना है. क्योंकि वे सपाट पिचों के इतने आदी हो गए हैं और सिर्फ गेंद को हिट करना चाहते हैं, इसलिए जब गेंद नहीं होती, तो उनके लिए दूसरा विकल्प होता है और मैं समझता हूं कि क्योंकि उनका क्रिकेट बहुत ज्यादा टी20 क्रिकेट और बहुत ज्यादा वनडे क्रिकेट पर आधारित है.’
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उन्होंने आगे कहा, ‘क्योंकि लोगों को हर समय स्लैम बैंग, हिट द बॉल, छक्के, चौके देखने की आदत हो रही है. वे उच्च दबाव वाले खेल, सिर्फ़ चैंपियंस ट्रॉफी या विश्व कप जैसे प्रारूप में ही व्यस्त रहते हैं. इसके अलावा, उनके पास इसके लिए धैर्य नहीं है.’