Ovarian Cancer: ओवेरियन कैंसर, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के बाद, भारतीय महिलाओं को अफेक्ट करने वाला तीसरा सबसे कॉमन गायनेकोलॉजिकल कैंसर है. अकेले 2022 में, भारत ओवेरियन कैंसर के सबसे ज्यादा मामलों वाले टॉप तीन देशों, चीन और अमेरिका के साथ में शामिल था, जिसने 324,603 नए डायग्नोसिस के ग्लोबल बोझ में योगदान दिया.
क्यों जानलेवा है ओवेरियन कैंसर?ओवेरियन कैंसर को खास तौर से खतरनाक बनाने वाली बात इसका साइलेंट और धोखेबाज नेचर है. डॉ. रेशमा पुराणिक (Dr. Reshma Puranik), मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमेटऑन्कोलॉजिस्ट ने बताया कि पेट में डिसकंफर्च, सूजन, या इर्रेगुलर पीरियड जैसे अक्सर अनक्लियर और छिपे हुए लक्षणों के कारण, इस बीमारी का अक्सर तब तक पता नहीं चलता जब तक कि ये एडवांस स्टेज में तक नहीं पहुंच जाता. बदकिस्मती से, दो-तिहाई से ज्यादा ओवेरियन कैंसर का डायग्नोसिस स्टेज 3 या स्टेज 4 में होता है, जिसके नतीजे में 5 साल का सर्वाइवल रेट 50% से भी कम होती है. इफेक्टिव स्क्रीनिंग टूल्स की कमी इस चैलेंज को और बढ़ा देते हैं
कैसे बच सकती है जान?हालांकि ओवेरियन कैंसर को हमेशा प्रिवेंट नहीं जा सकता है, खासकर जेनेटिक डिस्पोजीशन वाली महिलाओं में, लेकिन अर्ली डिटेक्शन और इंटरवेंशंस लाइफ सेविंग हो सकते हैं. ओवेरियन या ब्रेस्ट कैंसर के फैमिली हिस्ट्री वाली महिलाओं को BRCA म्यूटेशन के लिए जेनेटिक स्क्रीनिंग करानी चाहिए. अगर इसमें पॉजिटिव रिजल्ट आ जाता है, तो 38-40 साल की उम्र के बीच प्रोफिलेटिक ऊफोरेक्टॉमी जैसी रिस्क-कम करने वाले प्रोसीज पर विचार किया जा सकता है.
रेगुलर स्क्रीनिंग जरूरीऐसे हाई रिस्क वाले ग्रुप में 30-35 साल की उम्र से पहले रेगुलर स्क्रीनिंग शुरू हो जानी चाहिए. सालाना हेल्थ चेकअप जरूरी है इनमें पैल्विक अल्ट्रासाउंड और CA-125 जैसे ब्लड टेस्ट शामिल होने चाहिए, जो ओवेरयन कैंसर के लिए एक ट्यूमर मार्कर है. लगातार पेट दर्द, मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग, सूजन, या मेंस्ट्रुअल पैटर्न में बदलाव जैसे वॉर्निंग साइन एक्सपीरिएंस करने वाली महिलाओं को तुरंत गायनेकोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए.
बदलें अपनी लाइफस्टाइलकुछ लाइफस्टाइल फैक्टर्स भी ओवेरियन कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकते हैं. प्रोडक्टिव एज और 35 साल की उम्र के बाद पहला बच्चा होना एस्टेब्लिश्ड रिस्क फैक्टर्स हैं. इसलिए वक्त पर बेबी प्लानिंग, हेल्दी वेट मेंटेन रखना, तंबाकू और शराब से परहेज करना, न्यूट्रिएंट से भरपूर डाइट खाना और रेगुलर फिजिकल एक्टिविटीज ओवेरियन कैंसर के प्रिवेंशन में अहम रोल अदा करते हैं.
बीमारी को लेकर अवेरयरनेस जरूरीओवेरियन कैंसर साइलेंट हो सकता है, लेकिन इसका असर गहरा होता है. अर्ली डिटेक्शन, बढ़ी हुई जागरूकता, जेनेटिक काउंस्लिंग और लाइफस्टाइल में चेंज इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ हमारे सबसे मजबूत हथियार हैं. इसलिए महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो अपने बॉडी के सिग्नल को सुनें और हेल्थ को हमेशा प्रायोरिटी पर रखें, तभी काफी जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.