Do not ignore these 4 signs in 40s dementia will be controlled at the first stage | 40 की उम्र में इन 4 संकेतों को न करें इग्नोर, पहले स्टेज पर काबू हो जाएगा डिमेंशिया

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Do not ignore these 4 signs in 40s dementia will be controlled at the first stage | 40 की उम्र में इन 4 संकेतों को न करें इग्नोर, पहले स्टेज पर काबू हो जाएगा डिमेंशिया



डिमेंशिया एक गंभीर ब्रेन डिजीज है, जो व्यक्ति की याददाश्त, सोचने-समझने की शक्ति और सोशल बिहेवियर पर असर डालता है. वास्तव में, इसे कोई एक बीमारी नहीं, बल्कि लक्षणों का समूह कहा जाता है, जो दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने के कारण होता है. 
अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार है, लेकिन इसके अन्य प्रकार जैसे लुई बॉडी डिमेंशिया, फ्रंटोटेंपोरल डिमेंशिया और वैस्कुलर डिमेंशिया भी पाए जाते हैं. कई बार यह रोग 40 साल की उम्र में भी दस्तक दे सकता है, जिसे अर्ली ऑनसेट डिमेंशिया कहा जाता है. इसकी पहचान करना जरूरी है ताकि समय रहते इलाज और जीवनशैली में सुधार किया जा सके.
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डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण
याददाश्त कमजोर होना
सबसे पहला और आम लक्षण है, बार-बार चीजें भूल जाना. मरीज अपने खास दिनों जैसे जन्मदिन या सालगिरह को भी भूलने लगते हैं. 40 और 50 की उम्र में यह लक्षण नजर आए तो सतर्क हो जाना चाहिए.
डेली के कामों में कठिनाई
डिमेंशिया वाला व्यक्ति आम कामों जैसे खाना बनाना, फोन का इस्तेमाल या रास्ता याद रखने में भी मुश्किल महसूस करता है. पहले से सीखी हुई चीजों को करना मुश्किल हो जाता है.
मूड और स्वभाव में बदलाव
मरीज का मूड बिना किसी वजह के बार-बार बदल सकता है. वह उदास, चिड़चिड़ा या डरा हुआ महसूस कर सकता है. खासकर महिलाओं में यह लक्षण ज्यादा सामान्य है.
चीजों को गुम करना 
डिमेंशिया से पीड़ित लोग अक्सर अपनी चीजें इधर-उधर रखकर भूल जाते हैं. ऐसे में कई बार वह फिर दूसरों पर चोरी का आरोप लगाने लगते हैं. 
समय और जगह की पहचान में भ्रम
मरीज समय और स्थान को पहचान नहीं पाता. वह यह भूल सकता है कि वह कहां है, क्या कर रहा है या वहां कैसे पहुंचा. 
कम उम्र में कैसे पहचानें ये संकेत?
डिमेंशिया धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन शुरुआती पहचान से इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है. यदि 40 की उम्र के बाद ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण लगातार दिखें, तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है.
जीवनशैली में सुधार से मिल सकती है राहत
हालांकि डिमेंशिया का कोई परमानेंट इलाज नहीं है, लेकिन सही समय पर इलाज, ब्रेन एक्सरसाइज, अच्छी डाइट और सोशल एक्टिविटी से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है. याददाश्त बढ़ाने वाले खेल, संगीत, और दिमागी अभ्यास इसमें मददगार हो सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)



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